तीसरा पक्ष बिल्कुल नहीं
भारत और चीन के बीच सीमा पर जारी ताजा गतिरोध के बीच चीन ने अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बयान पर पहली बार आधिकारिक टिप्पणी की।
तीसरा पक्ष बिल्कुल नहीं |
गौरतलब है कि राष्ट्रपति ट्रंप ने भारत और चीन के बीच जारी विवाद को हल करने के लिए मध्यस्थता की पेशकश की थी। चीन ने बुधवार को इस मसले पर अपनी नीति साफ करते हुए कहा कि भारत-चीन सीमा पर अब हालात नियंत्रण में हैं।
भारत और चीन के पास सीमा संबंधी संपूर्ण तंत्र और व्यवस्थाएं हैं। स्वाभाविक तौर पर चीन के साथ-साथ भारत का भी शुरू से यही मानना है कि भारत और चीन या भारत और पाकिस्तान के बीच किसी तीसरे देश की मध्यस्थता की कतई जरूरत नहीं है। सीमा विवाद का हल आपसी समझदारी, संयमपूर्ण व्यवहार और आपसी हितों के पूर्ण संरक्षण को प्राथमिकता में रखकर ही किया जाना चाहिए।
ठीक है कि चीन अपनी विस्तारवादी नीति के चलते भारत या अन्य पड़ोसी देशों की सीमाओं का अतिक्रमण करता है, या उन पर कब्जा करने की साजिश रचता है, मगर भारत को भी उसी के तर्ज पर जवाब देने की रणनीति बनानी होगी। लद्दाख में ताजा विवाद को लेकर यह धारणा तेजी से फैली कि भारत का रवैया इस बार ज्यादा सुरक्षात्मक था। भारत का अभी पूरा ध्यान कोरोना महामारी से निपटने में लगा हुआ है। ऐसे में सीमा पर विवाद होने और पड़ोसी देश से टकराव करने में समझदारी नहीं है। और अच्छी बात यह है कि भारत भारत-चीन संवाद से जारी तनातनी में नरमी आ रही है।
गौरतलब है कि छह जून को दोनों देशों के सैन्य अधिकारियों की बातचीत होनी है। इससे पहले यह बढ़िया संकेत है। भारत और चीन को कूटनीतिक तरीके से आपसी विवादों का निपटारा करना चाहिए। भारत को सर्वप्रथम अपने हितों तथा क्षेत्रीय शांति एवं समृद्धि को प्राथमिकता देनी होगी। साथ ही चीन और अमेरिका के बीच जारी तनाव में नहीं पड़ना होगा।
भारत और चीन के बीच तनातनी तो वर्षो से चली आ रही है, मगर संबंध बनने की गुंजाइश हमेशा बनी रही। चीन को भी इस बात को समझना होगा कि वह भारत के संयम की परीक्षा बार-बार न ले। उसे यह बात अच्छे तरीके से जान लेनी चाहिए कि अब भारत 1962 वाला भारत नहीं रहा। अब उसे जवाब देना और अपने देश की संप्रभुता की रक्षा करना ज्यादा अच्छे और सुगठित तरीके से आ गया है। लिहाजा, शांति में ही समृद्धि है।
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