सराहनीय फैसला
मॉडल जेसिका लाल की हत्या के जुर्म में उम्रकैद की सजा काट रहे सिद्धार्थ वशिष्ठ उर्फ मनु शर्मा के लिए सोमवार का दिन मंगलकारी साबित हुआ।
सराहनीय फैसला |
दिल्ली के उपराज्यपाल अनिल बैजल ने सेंटेंस रिव्यू बोर्ड (सजा की समीक्षा करने वाला बोर्ड) की सिफारिश पर मनु की रिहाई पर यह फैसला लिया। बताया जाता है कि जेल में उसका बर्ताव अच्छा रहा। शर्मा ने अपने एनजीओ ‘सिद्धार्थ वशिष्ठ चैरिटेबल ट्रस्ट’ के जरिए जेल के कैदियों के बच्चों की शिक्षा के लिए काम किया है और 2014 में उसके प्रयासों की उपराज्यपाल ने भी सराहना की थी। हालांकि इससे पहले मनु को फरलो मिलने पर काफी विवाद भी हुआ था। मनु शर्मा ने 29 अप्रैल, 1999 की रात दिल्ली के टैमरिंड रेस्टोरेंट में मॉडल जेसिका लाल की गोली मारकर हत्या कर दी थी। तिहाड़ जेल में मनु 17 साल की सजा काट चुका है।
वैसे न्याय का तकाजा है कि अगर कोई कैदी अच्छा व्यवहार और विचार रखता है, तो उसे जेल की सलाखों के पीछे रखने का कोई मतलब नहीं है। मनु ने अपने मन और मिजाज में बदलाव की कोशिश की और सकारात्मक संदेश दिया। जेल में बिगड़ने के तमाम अवसर होते हैं, इसके बावजूद अगर कोई शख्स अच्छा इंसान बनना चाहता है, तो उसे यह मौका जरूर दिया जाना चाहिए। वैसे भी जेसिका लाल की बहन सबरीना ने दो साल पहले तिहाड़ जेल प्रशासन को चिट्ठी लिखकर मनु को माफी दे दी थी। स्वाभभाविक तौर पर सबरीना ने बड़ा दिल दिखाया। अब बारी मनु शर्मा की है। उसे उन सभी लोगों की उम्मीदों पर खरा उतरना होगा। रिहाई के बाद मनु की दुनिया काफी बदल-सी गई है। लिहाजा, उसे अपने पूर्व के किए पर पछताने के बजाय आगे बढ़ना होगा।
वैसे भी पहला मौका नहीं है, जब शासन तंत्र ने किसी कैदी के उत्तम व्यवहार के आधार पर रिहा किया है। यह फैसला समाज को भी नई दिशा दिखाएगा। आम तौर पर जेल में कैदी सुधरने के बजाय बुरी आदतों और संगत में पड़कर ज्यादा आपराधिक प्रवृत्ति के हो जाते हैं। इस मायने में तिहाड़ प्रशासन की भूमिका की भी सराहना करनी होगी कि उसने मनु शर्मा की अच्छाइयों को नोटिस किया और उसे कदम-कदम पर समर्थन दिया। इस फैसले से न केवल न्यायिक प्रक्रिया, बल्कि जेसिका के परिवार वालों के उदार दृष्टिकोण की भी प्रशंसा होनी चाहिए। निश्चित तौर पर यह एक सकारात्मक पहल है।
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