प्रधानमंत्री का उद्बोधन

Last Updated 04 Jun 2020 12:15:15 AM IST

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भारतीय उद्योग परिसंघ के 125वें वार्षिक सम्मेलन को संबोधित करते हुए अर्थव्यवस्था के फिर से विकास की गति पकड़ने का जो विश्वास दिलाया वह स्वाभाविक है।


प्रधानमंत्री का उद्बोधन

प्रधानमंत्री जब देश के उद्योगपतियों और कारोबारियों के बीच बोलते हैं, तो सबका आत्मविश्वास बनाए रखने का यत्न करना ही होता है। वैसे भी सरकार ने हाल में वित्तीय खुराक से लेकर सुधारों की जो व्यापक खुराक दी है उसमें संभावनाएं तो निश्चित रूप से मौजूद हैं।

उनका यह कहना महत्त्वपूर्ण है कि देश की क्षमता, संकट प्रबंधन कौशल, किसानों और उद्यमियों के परिश्रम से भारत अपनी आर्थिक वृद्धि को वापस हासिल कर लेगा। कोरोना प्रकोप से संघर्ष करते हुए देश लॉकडाउन से निकल कर अनलॉक की दिशा में अग्रसर हो गया है। इसमें आर्थिक गतिविधियां धीरे-धीरे गति पकड़ेंगी। सुधारों की गति बढ़ाने और कृषि क्षेत्र को पुराने कानूनों की बंदिशों से मुक्त कर खोलने की दिशा में सरकार की ओर से उठाए जा रहे सुधारवादी कदमों का अर्थव्यवस्था को दीर्घकालिक लाभ होगा।

सरकार अपने स्तर पर फैसले कर रही है, तो अर्थव्यवस्था के सभी क्षेत्रों को अपने तरीके से भी इसे बल प्रदान कर आगे बढ़ना चाहिए। अर्थव्यवस्था के कई क्षेत्रों, जो अब तक बंद थे, को निजी क्षेत्र के लिए खोला गया है। उम्मीद है कि इन सुधारों से आने वाले समय में आर्थिक वृद्धि की गति बढ़ाने में मदद मिलेगी। प्रधानमंत्री जिस आत्मनिर्भर भारत की बात कर रहे हैं, उसके लिए उन्होंने पांच ई की चर्चा की और ये महत्त्वपूर्ण हैं। इंटेंट यानी इच्छाशक्ति, इंक्लूजन यानी समावेशी रुख, इंवेस्टमेंट यानी निवेश, इंफ्रास्ट्रक्चर और इनोवेशन यानी नवप्रवर्तन ऐसे तत्व हैं, जिनका सम्मिलन किसी देश को ऊंचाइयों पर ले जा सकता है। जैसा प्रधानमंत्री ने कहा कि इन फैसलों के साथ हमने तमाम क्षेत्रों को भविष्य के लिए तैयार किया है।

उसके बाद उन्होंने कहा कि भारत को फिर से तेज विकास की राह पर लाने और आत्मनिर्भर भारत बनाने के लिए ये चीजें जरूरी हैं। प्रधानमंत्री प्रेरणा दे सकते हैं, सरकार अपनी सीमाओं में कदमों के द्वारा सहयोग कर सकती है,  लेकिन इसको साकार कर उतारने की भूमिका उद्यमियों, कारोबारियों, किसानों, मजदूरों के साथ ही वैज्ञानिकों, तकनीशियनों आदि की भी है। उम्मीद करनी चाहिए कि प्रधानमंत्री के उद्बोधन का सकारात्मक असर होगा और सभी संकल्प के साथ आत्मनिर्भर भारत बनाने की दिशा में अपनी पूरी क्षमता लगाएंगे।



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