जांच से उम्मीद
कोरोना वायरस महामारी को लेकर रहस्य बना हुआ है। लगभग पूरी दुनिया इस जानलेवा बीमारी की चपेट में है।
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इस महामारी से होने वाली मौत का ग्राफ हर दिन चढ़ता ही जा रहा है। जाहिर है कि पूरी दुनिया की जिज्ञासा बनी हुई है कि आखिर इस विनाशकारी वायरस की उत्पत्ति कैसे हुई। यह सवाल भी उठ रहे हैं कि क्या यह वायरस मानव निर्मित है या प्राकृतिक रूप से उसकी उत्पत्ति हुई है। विश्व समुदाय ने इन रहस्यों से पर्दा उठाने के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) का दरवाजा खटखटाया है।
भारत समेत दुनिया के 62 देश डब्ल्यूएचओ से यह जानना चाहते हैं कि कोरोना वायरस की रोकथाम में उसकी अबतक क्या भूमिका रही है? डब्ल्यूएचओ की विश्व स्वास्थ्य सभा का दो दिवसीय 73वां सत्र जिनेवा में हुआ। वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये होने वाली इस बैठक में भारत की ओर से केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हषर्वर्धन ने भाग लिया। भारत की दृष्टि से इस बैठक का खास महत्त्व है। क्योंकि इसमें उसने आधिकारिक रूप से पहली बार उन देशों को अपना समर्थन दिया, जो कोरोना वायरस की उत्पत्ति की जांच की मांग कर रहे थे।
यूरोपीय संघ और आस्ट्रेलिया ने इसकी मांग की थी। बैठक का मसौदा भी इन्हीं देशों ने तैयार किया है। मसौदे में कोरोना वायरस महामारी की निष्पक्ष, स्वतंत्र और व्यापक जांच की मांग की गई है। सब जानते हैं कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप चीन के विरुद्ध लगातार यह आरोप लगा रहे हैं कि कोरोना वायरस चीन स्थित विषाणु अनुसंधान प्रयोगशाला से निकला था। वास्तविकता यह है कि यह बैठक भी वुहान से शुरू हुए इस महामारी के बाद चीन के द्वारा उठाए गए कदमों की जांच के संबंध में राष्ट्रपति ट्रंप द्वारा लगातार बनाए जा रहे दबाव की पृष्ठभूमि में हुई। ट्रंप का आरोप है कि शुरुआत में चीन ने इस महामारी को जान-बूझकर छिपाया, जिसके कारण पूरी दुनिया में इसका फैलाव हो गया।
उसके इस कृत्य में डब्ल्यूएचओ ने उसका साथ दिया। हालांकि चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने सभी आरोपों का खंडन किया और कहा कि हमने बिना कुछ छिपाए हुए महामारी पर नियंत्रण और उपचार के अनुभवों को साझा किया है। भारत का इस बारे में स्पष्ट विचार है कि महामारी के प्रसार के लिए दोषारोपण करना उचित नहीं है। लेकिन भारत सहित पूरी दुनिया यह जरूर चाहती है कि इस महामारी की सचाई का पता चले कि आखिर इसकी उत्पत्ति कैसे और कहां हुई?
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