अम्फन का खतरा
कोरोना संकट के बीच सुपर साइक्लोन ‘अम्फन’ ने हमारे पूर्वी समुद्री तटीय इलाकों के लिए भारी खतरा पैदा कर दिया है।
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बंगाल की खाड़ी में उठा साल 2020 का पहला चक्रवात अम्फन सुपर साइक्लोन में तब्दील हो चुका है। इसकी ताकत का अंदाजा इसी से लगाइए कि पिछले 20 साल में बंगाल की खाड़ी में उठने वाले चक्रवाती तूफानों में यह तूफान सबसे भीषण चक्रवात है। इसके कारण बंगाल की खाड़ी के उत्तरी हिस्सों में उथल-पुथल मची हुई है और हवा की रफ्तार लगातार बढ़ रही है। इसके साथ समुद्र में 275 किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार से हवा चल रही हैं। इसके सारे दुष्परिणामों का आकलन करते हुए वे सारे पूर्वोपाय किए जा रहे हैं, जो आमतौर पर समुद्री तूफान में किए जाते हैं।
पहले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का स्वयं बैठक लेना, फिर गृहमंत्री अमित शाह का पश्चिम बंगाल एवं ओडिशा के मुख्यमंत्रियों से बातचीत कर हालात की जानकारी लेना एवं उसके अनुसार आवश्यक उपाय के लिए कदम उठाना और फिर कैबिनेट सचिव राजीव गौबा द्वारा राष्ट्रीय संकट निगरानी समिति की बैठक की अध्यक्षता करना बताता है कि केंद्र किस तरह इस तूफान से बचाव, राहत एवं उससे होने वाले नुकसान को कम करने तथा बाद के पुनर्निर्माण के लिए तैयारी कर रहा है। स्वाभाविक ही राष्ट्रीय आपदा राहत बल और रक्षा बलों को नियुक्त करने के अलावा, बिजली और दूरसंचार विभागों को आपातकालीन प्रतिक्रिया के साथ तैयार रहने का निर्देश दिया गया है। साफ है कि अम्फन जैसे-जैसे आगे बढ़ रहा है ओडिशा और तटीय पश्चिम बंगाल के क्षेत्रों में हवा उग्र होती जा रही है।
तटीय आंध्र प्रदेश, तटीय ओडिशा, तटीय पश्चिम बंगाल और पूर्वोत्तर राज्यों में अब से लेकर तूफान के टकराने तक हवा की रफ्तार बढ़ती ही रहेगी। मौसम विभाग की जानकारी के अनुसार ओडिशा में केंद्रपाड़ा, भद्रक, बालासोर, मयूरभंज, जाजपुर और जगतसिंहपुर जिले सबसे अधिक प्रभावित होने वाले हैं। इसके अलावा प. बंगाल-बांग्लादेश के बीच दीघा और हातिया द्वीप समूह के बीच सुंदरबन के पास अम्फन चरम सीमा पर पहुंच तूफान लाएगा। ओडिशा में तूफान से बचाव के लिए पहले से तैयार आधारभूत संरचना विकसित है और लोगों को साइक्लोन शेल्टरों में ले जाया जा रहा है। हम कामना करेंगे कि यह चक्रवात हमारे लिए विनाशकारी साबित न हो।
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