लॉकडाउन चार
इस बात का संकेत पहले से मिल गया था कि केंद्र सरकार अभी लॉकडाउन खत्म करने की मन:स्थिति में नहीं है।
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प्रधानमंत्री की मुख्यमंत्रियों के साथ बैठक में कई राज्यों ने तो बिना किसी हिचक के लॉकडाउन बढ़ाने की मांग की थी। कुछ राज्यों ने रेड, ग्रीन आदि तय करने का अधिकार उन्हें देने तो कुछ ने लॉकडाउन के साथ आर्थिक गतिविधियां चलाने का सुझाव दिया था। प्रधानमंत्री ने भी अपने संबोधन में यही कहा था कि कोरोना से संघर्ष करते हुए भी हमें आगे बढ़ना है। लॉकडाउन का चौथा चरण इन सबको समाहित करता है। अब राज्य तय करेंगे कि उनके यहां कौन रेड, कौन ऑरेंज कौन ग्रीन जोन है, कंटेनमेंट क्षेत्र कौन होगा तथा बफर कौन? राज्यों को इसमें पूरी जिम्मेवारी एवं गंभीरता से काम करना होगा। जिस तरह कुछ राज्यों में कोविड-19 तेजी से फैल रहा है, उसे देखते हुए अभी किसी सूरत में उन जगहों को खोलने की अनुमति नहीं दी जा सकती जहां एक साथ भारी जन समूह एकत्रित हो जाने का खतरा या संभावना हो। मसलन, स्कूल, कॉलेज सहित अन्य शिक्षण संस्थान, मॉल, सिनेमा हॉल, ऑडिटोरियम, जिम, मनोरंजन पार्क, बार, सामान्य होटल और रेस्टोरेंट आदि। किंतु जो होटल कोरोना में भूमिका निभा रहे हैं, उनको भी खुला रखना जरूरी है तथा वो रेस्टोरेंट जो घर तक खाना पहुंचाते हैं। अभी सामान्य तौर पर बसें, रेल या हवाई जहाज नहीं चलाई जा सकतीं। उसके बाद फिर कोविड-19 प्रसार को रोकना असंभव हो जाएगा।
बावजूद अगर आर्थिक गतिविधियां चलानी है तथा फंसे लोगों को बाहर भेजना है तो राज्यों की सहमति से अंतरराज्यीय बसें तथा अन्य यात्री सवारी की अनुमति मिलनी चाहिए थी जो दे दी गई है। लॉकडाउन तीन में ही कंटेनमेंट जोन के अलावा कुछ दुकानों की निश्चित समय पर खोलने की अनुमति दी गई थी। वह प्रयोग असफल नहीं रहा है। इसलिए उसके साथ नाई की दुकान, सैलून, स्पा आदि को खोलने की अनुमति अस्भाविक नहीं है। पर उनमें शारीरिक दूरी का पालन कराना आसान ही होगा। वास्तव में कोविड-19 पर काबू पाने के लिए शारीरिक दूरी का पालन अपरिहार्य है। हमने खिलाड़ियों के स्टेडियम खोलकर अच्छा किया, क्योंकि उन्हें अपना अभ्यास करने में आसानी होगी, लेकिन दर्शकों या बाहरी लोगों के प्रवेश पर रोक इसीलिए है कि वहां शारीरिक दूरी का पालन हो सके। कई राज्यों ने जिम्मेवारी दिखाई तो कई ने ठीक से नियमों का पालन नहीं किया, जिसकी दुखद परिणत हमारे सामने है। यह रु कना चाहिए।
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