गति देने वाला पैकेज
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत अभियान के एक पक्ष 20 लाख करोड़ रुपए के पैकेज का विस्तृत विवरण कई मायनों में महत्त्वपूर्ण है।
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इसमें की गई सभी 15 घोषणाओं में 6 घोषणाएं छोटे-मझले उद्योगों के लिए, 3 करों से जुड़ी, 2 कर्मचारी भविष्य निधि, 2 गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों के लिए और एक-एक घोषणा बिजली वितरण कंपनियों तथा रियल एस्टेट सेक्टर से संबंधित थीं। प्रधानमंत्री मोदी द्वारा कोविड-19 संकट को अवसर में बदल कर भावी विश्व का ध्यान रखते हुए देश को उच्च शिखर पर ले जाने का एक व्यापक विजन पेश करना तथा सीमित संसाधनों एवं वित्तीय कमजोरी के होते हुए भी अर्थव्यवस्था के हर क्षेत्र को प्रोत्साहित करके के लिए पैकेजों की घोषणा सामान्य घटना नहीं है।
इसका अर्थ यह है कि सरकार केवल कोरोना कोविड-19 से लड़ने तक सीमित नहीं है। अर्थव्यवस्था पर आए संकट को दूर कर इसे गतिमान बनाने की योजनाओं पर व्यापक दृष्टिकोण से लगातार काम हो रहा है। इन घोषणाओं से 100 करोड़ रुपये से कम टर्नओवर वाले 45 लाख उद्योगों, संकट में चल रहे दो लाख उद्योगों, दो करोड़ लोगों को रोजगार देने वाले रियल एस्टेट सेक्टर, पांच करोड़ कर्मचारियों का भविष्य निधि हर महीने जमा करने वाले 10 लाख संस्थानों तथा लाखों कर्मचारियों को लाभ होगा।
उदाहरण के लिए जिन रियल एस्टेट डवलपर्स की परियोजनाएं 25 मार्च के बाद पूरे होनी थीं, उनके निबंधन और पूर्ण होने की समय सीमा अपने आप छ: महीने के लिए बढ़ जाएगी। इसी तरह 45 लाख मझले, बेहद छोटे, छोटे, कुटीर और गृह उद्योगों को तीन लाख करोड़ रुपये का कर्ज मिलेगा जिन्हें 25 करोड़ रुपये का बकाया चुकाना है और जिनका 100 करोड़ रुपये का टर्नओवर है, ऐसे छोटे उद्योगों को फिर कर्ज मिलेगा। इसके बदले में गारंटी नहीं देनी होगी। गारंटी फीस भी नहीं लगेगी। कर्ज चार साल के लिए होगा।
कर्ज की मूल रकम चुकाने के लिए बारह महीने की राहत मिलेगी। ये दो उदाहरण बताने के लिए पर्याप्त हैं कि किस तरह अर्थव्यवस्था की कठिनाइयों का गहराई से अध्ययन कर जितना संभव है उतना सहयोग करने की कोशिश की जा रही है ताकि वह सुस्ती या ठहराव से उठकर गतिमान हो सके। पहले से व्याप्त संकट तथा लॉकडाउन के बाद पड़ी मार के बीच वर्तमान आर्थिक ढांचे में यही रास्ता था, जिसे सरकार ने पकड़ा है।
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