साहसिक सुधार
आर्थिक पैकेज का चौथा भाग उन बड़े और साहसी सुधारों पर केंद्रित है, जिनकी अर्थशास्त्री और निवेशक लंबे समय से सलाह दे रहे थे।
![]() साहसिक सुधार |
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने संबोधन में भी सुधारों की ओर बढ़ने का स्पष्ट संकेत दिया था। अर्थव्यवस्था की पहले से जारी सुस्ती और कोविड-19 की मार से उबरकर गतिमान कराने के लिए वर्तमान ढांचे में बड़े आर्थिक सुधार अपरिहार्य हो गए थे। प्रधानमंत्री ने पांच स्तंभों में सिस्टम यानी व्यवस्था में सुधार की बात की थी तो चार एल में उन्होंने लॉ यानी कानून की भी चर्चा की थी। पैकेज के इस भाग का मुख्य फोकस प्रशासनिक एवं कानूनी सुधार ही थे।
जिन आठ कदमों की घोषणा की गई उनमें कोयला, खनिज और केंद्रशासित राज्यों में बिजली वितरण कंपनियों का निजीकरण, रक्षा क्षेत्र में विदेशी निवेश की सीमा 49 प्रतिशत से बढ़ाकर 74 प्रतिशत करने, छह हवाई अड्डों का निजीकरण और भारतीय हवाई क्षेत्र का सौ प्रतिशत इस्तेमाल आदि शामिल हैं। केंद्रशासित प्रदेशों में बिजली वितरण कंपनियों (डिस्कॉम) के निजीकरण से उपभोक्ताओं को बेहतर सेवा मिलने की उम्मीद है।
इसमें बिजली लोड शेडिंग होने पर डिस्कॉम पर जुर्माना लगाने का भी प्रावधान है तथा उपभोक्ताओं को सब्सिडी डीबीटी यानी सीधे खाता में स्थानांतरण के माध्यम से मिल जाएगा। इससे बिजली क्षेत्र में स्थिरता आएगी। इसी तरह रक्षा क्षेत्र में स्वदेशी को प्रोत्साहन मिलेगा, रक्षा खरीद की जगह इससे भारत में मेक इन इंडिया के तहत उत्पादन हो सकेगा। इसके लिए ऑर्डनेंस फैक्टरी बोर्ड का निगमीकरण होगा, कंपनी शेयर बाजार में सूचीबद्ध होगी ताकि लोग उसके शेयर खरीद सकें। यह बहुत बड़ा सुधार है। वित्त मंत्री ने स्पष्ट किया
सेना को जिन आधुनिक हथियारों की जरूरत है, उनकी सूची बनाकर विदेशों से खरीदने के बजाए उनका उत्पादन भारत में ही किया जाएगा। इनके आयात पर पाबंदी लगा दी जाएगी। अभी देश के केवल 60 प्रतिशत वायु क्षेत्र का ही इस्तेमाल हो पाता है। हवाई क्षेत्र खोलने का अर्थ है कि सरकार सेना से बात करेगी और पूरे हवाई क्षेत्र को विमानों के लिए खोला जाएगा। ताकि लोगों का समय बचे, और ईधन की भी बचत हो। इसी तरह से अन्य सुधार हैं और इनको सकारात्मक दृष्टिकोण से देखे जाने की आवश्यकता है।
Tweet![]() |