देर आयद दुरुस्त आयद
लॉकडाउन के चलते अपने घर से दूर या बाहरी राज्यों में फंसे लोगों को अपने घर वापस लाने के लिए केंद्रीय गृह मंत्रालय की पहल वाकई सराहनीय है।
![]() देर आयद दुरुस्त आयद |
लॉकडाउन लागू हुए 37 दिन हो चुके हैं और देश के विभिन्न हिस्सों में फंसे लोगों खासकर मजदूरों को इस दौरान काफी कष्ट झेलना पड़ा है। कई जगहों से यह खबर भी आई कि उन लोगों को न तो पर्याप्त मात्रा में भोजन कराया जाता है, और न बाकी सुविधाएं मयस्सर हैं। लिहाजा, इससे उन लोगों का केंद्र सरकार के प्रति विक्षोभ भी बढ़ता रहा। कई राज्य सरकारें भी केंद्र पर अपने लोगों को वापस लाने के लिए दबाव बना रही थीं।
स्वाभाविक रूप से यह फैसला काफी पहले कर लिया जाना चाहिए था, मगर देर से ही सही यह कदम प्रशंसा के काबिल है। फिलहाल, केंद्रीय गृह मंत्रालय ने जो दिशा-निर्देश जारी किए हैं, उनके तहत कुछ नियमों का पालन करने की बात भी कही गई है और इन नियमों का पालन करना हर किसी के लिए बेहद जरूरी भी है। पहले भी हमने देखा है कि किस तरह लॉकडाउन की धज्जियां उड़ाकर लोग पैदल या फिर अन्य साधनों से अपने घर पहुंचने के लिए बेकरार दिखे।
वैसे भी बिना किन्हीं मूलभूत सुविधाओं के किसी के लिए लंबे वक्त तक रहना आसान नहीं होता है। काम बंद होने और हर तरह की गतिविधियों पर विराम लग जाने के बाद ज्यादातर प्रवासी लोगों में निराशा घर करने लगी थी। लिहाजा, हालात और ज्यादा खराब न हों; इसलिए उन लोगों का अपने परिजनों के पास जाना राहत भरी बात होगी। हां, इन लोगों को भी अपने गंतव्य तक जाने के दौरान और वहां पहुंचने के बाद हर तरह की ऐहतियात बरतने का संकल्प लेना होगा। न केवल संकल्प, बल्कि उसका कठोरता और ईमानदारी से पालन भी करना होगा। ऐसा करने से ही कोरोना जैसी महामारी को खत्म किया जा सकता है।
निस्संदेह सरकार के लिए यह फैसला आसान नहीं था। कई बार की माथापच्ची के बाद अगर सरकार इस निर्णय पर पहुंची है, तो उसके भरोसे को बनाए रखना हर किसी की जिम्मेदारी है। राज्य सरकारों की जिम्मेदारी ज्यादा व्यापक हो गई है क्योंकि जितने भी लोग अपने घर पहुंचेंगे, उन लोगों की सही तरीके से जांच करनी होगी। थोड़ी-सी भी लापरवाही संकट को और विस्तार देगी। कुल मिलाकर दोनों पक्षों को संवेदनशील और समझदार बनना होगा। अगर यह प्रयोग सफल रहा तो हर कोई इसमें अपनी जीत देखेगा।
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