थेरेपी पर ऊहापोह
देश में कोरोना वायरस का कहर तेजी से बढ़ रहा है। अब तक इस महामारी से देशभर में करीब 1000 लोग मारे गए हैं जबकि संक्रमित मरीजों की संख्या 30 हजार से ऊपर जा पहुंची है।
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वैसे इस वायरस को हराने के लिए लगातार संघर्ष जारी है, मगर कोई ठोस कामयाबी नहीं मिली है। इसी बीच प्लाज्मा थेरेपी से कोरोना मरीजों के इलाज को लेकर काफी कुछ चर्चा में है। दिल्ली सरकार ने कुछ दिनों पहले यह दावा किया था कि प्लाज्मा थेरेपी का प्रारंभिक परिणाम उत्साहवर्धक रहा है। उन्होंने कहा था कि अब तक चार मरीजों का इलाज प्लाज्मा थेरेपी से किया गया, दो मरीजों को प्लाज्मा चढ़ाया गया था, दोनों बाद में आईसीयू से बाहर आ गए। केजरीवाल ने यह भी कहा था कि दिल्ली के सभी गंभीर मरीजों को प्लाज्मा थेरेपी देने की इजाजत केंद्र सरकार से मांगी जाएगी।
इस बीच केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने प्लाज्मा थेरेपी से इलाज को लेकर जारी सारी कयासबाजी पर विराम लगा दिया है। मंत्रालय ने यह साफ कर दिया है कि प्लाज्मा थेरेपी को लेकर कोई मान्य थ्योरी अभी नहीं है। इसको लेकर अभी रिसर्च किया जा रहा है। प्लाज्मा थेरेपी का इस्तेमाल अगर गाइडलाइंस के मुताबिक नहीं किया गया तो यह जान पर भी खतरा बन सकता है यानी मंत्रालय को जरूर यह पता चला होगा कि इसका प्रयोग मनुष्यों पर करना व्यावहारिक बिल्कुल नहीं है।
सच है कि प्लाज्मा थेरेपी प्रायोगिक चरण में है, लेकिन अभी यह दावा करने के पर्याप्त सबूत नहीं हैं कि प्लाज्मा थेरेपी का इस्तेमाल कोविड-19 के इलाज के तौर पर किया जा सकता है। इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) इसे लेकर स्टडी कर रही है। इसलिए जरूरी है कि जब तक आईसीएमआर स्टडी पूरा नहीं कर ले, तब तक इसका प्रयोग रिसर्च या ट्रायल के लिए ही करें।
मंत्रालय की सलाह वाकई बेहद उपयोगी है और इसे सभी राज्यों को मानना चाहिए। जब तक आईसीएमआर इसका र्सटििफकेशन नहीं करता है तब तक इस थेरेपी का उपयोग गैर-कानूनी है। हालांकि आईसीएमआर ने इसे प्रयोग के तौर पर इस्तेमाल की बात कही है। वैसे कुछ साल पहले इबोला बीमारी के दौरान भी प्लाज्मा थेरेपी से सफल इलाज का दावा किया गया था, मगर कुल मिलाकर यह तीर-तुक्का वाला मामला है यानी अभी सरकार और मरीज, दोनों को वैक्सीन के लिए इंतजार करना होगा।
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