वीडियो कांफ्रेंसिंग
पिछले एक महीने के दौरान कोरोना महामारी से उतार-चढ़ाव के ग्राफ को देखने से स्पष्ट संकेत मिलता है कि आगामी 3 मई को सूमचे देश से लॉक-डाउन नहीं हटने जा रहा है।
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हालांकि इस लॉक-डाउन के बहुत ही सकारात्मक परिणाम सामने आ रहे हैं, लेकिन अभी यह नहीं कहा जा सकता कि कोरोना वायरस का खतरा हमसे दूर हो गया है। आगामी सप्ताह बहुत महत्त्वपूर्ण है और इसी दौरान यह पता चल पाएगा कि भारत का कौन सा हिस्सा लॉक-डाउन से मुक्त होने के लिए तैयार है। बीते सोमवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की विभिन्न राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये जो बातचीत हुई, उससे भी यही संकेत निकलकर आया कि पूरा देश अभी लॉक-डाउन से मुक्त होने के लिए तैयार नहीं है। लेकिन अच्छी बात यह है कि तीन मई के बाद देश के उन हिस्सों में आर्थिक और कारोबारी गतिविधियां तेज करने के प्रयास किए जाएंगे, जो कोरोना के प्रकोप से बचे हुए हैं या जहां इस महामारी को पूरी तरह नियंत्रित कर लिया गया है।
प्रधानमंत्री मोदी ने यह स्पष्ट कर दिया कि कोरोना के विरुद्ध लड़ाई जारी रखनी है, लेकिन अर्थव्यवस्था को भी महत्त्व देना होगा। निश्चित तौर पर देश के कारोबार जगत से जुड़े लोगों के साथ-साथ छोटे और मझोले कारोबारियों के लिए यह राहत की बात है। भारत में कोरोना के चढ़ते ग्राफ को रोकने के लिए शायद दुनिया में सबसे कठोरतम लॉक-डाउन लागू किया है। जाहिर है कि इसके आर्थिक परिणाम भी उतने ही कठोर और खराब होंगे। इसी बात को ध्यान में रखते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने मुख्यमंत्रियों के साथ बातचीत में अर्थव्यवस्था को चलाने के लिए आवश्यक छूट देने की बात कही है।
इस बैठक में पूर्वोत्तर के राज्यों सहित हिमाचल, उत्तराखण्ड, ओडिशा और बिहार के मुख्यमंत्रियों ने लॉक-डाउन को और आगे बढ़ाने की मांग की। इनका मानना है कि 3 मई को लॉक-डाउन पूर्णत: हटाना अपरिपक्व निर्णय होगा। क्योंकि हर दिन संक्रमण के नये मामले सामने आ रहे हैं और नये हॉट स्पाट भी बन रहे हैं। इसलिए हमें जीवन बचाने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। यह सच है कि लॉक-डाउन का हजारों लोगों का जीवन बचाने में बड़ा योगदान रहा है, किंतु यह भी उतना ही सच है कि प्राणिमात्र के जीवन को चलाने के लिए अर्थ का पहिया भी घूमना चाहिए। फिर भी अपेक्षा की जाती है कि यदि सबकुछ ठीक रहा तो 3 मई के बाद कम-से-कम देश का एक बड़ा हिस्सा लॉक-डाउन से मुक्त हो जाएगा।
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