हम साथ साथ नहीं

Last Updated 23 Apr 2020 12:06:23 AM IST

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी केंद्र के साथ टकराव करने की राजनीति के लिए विख्यात हो चुकी है।


हम साथ साथ नहीं

उन्हें मोदी सरकार के साथ टकराव का बहाना चाहिए और इस तरह के बहाने महीने-दो महीने में एक बार मिल ही जाते हैं। अभी पिछले दिनों नागरिकता संशोधन कानून के मुद्दे पर उनका मोदी सरकार के साथ दो-दो हाथ हुआ था। अभी यह मामला पूरी तरह शांत भी नहीं हुआ था कि कोविड-19 से पैदा हुई स्थिति का आकलन करने के लिए पश्चिम बंगाल का दौरा कर रही केंद्र की अंतर्मत्रालीय टीम को लेकर ममता बनर्जी और केंद्र के बीच टकराव की अशोभनीय स्थिति पैदा हो गई।

मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ‘मोदी फोबिया’ से ग्रसित हैं। उन्हें केंद्र का कोई भी निर्देश संघीय ढांचे पर हमले के तौर पर दिखाई देता है। वर्तमान विवाद और टकराव की पृष्ठभूमि बनी है पश्चिम बंगाल की कोरोना महामारी से संक्रमित और मरने वालों की संख्या। राज्य सरकार और केंद्र सरकार के आंकड़ों में समानता नहीं थी। सभी जानते हैं कि राज्य की कोरोना से संबंधित सही तस्वीर सामने नहीं आ रही है।

प्रदेश के राज्यपाल का भी कहना है कि राज्य में लॉक-डाउन के नियमों का पालन नहीं हो रहा है और मुख्यमंत्री कोरोना को नियंत्रित करने के लिए जरूरी कदम नहीं उठा रहीं हैं। केंद्र सरकार कुछ अन्य राज्यों की तरह पश्चिम बंगाल के कोलकाता, जलपाईगुड़ी, हावड़ा, उत्तरी 24 परगना, पूर्वी मेदिनीपुर, दार्जिलिंग और कलिमपोंग जिलों के जमीनी स्तर पर हालात का आकलन करने के लिए केंद्रीय अंतर्मत्रालीय टीम को भेजा। यह कदम आपदा प्रबंधन अधिनियम 2005 के तहत उठाया गया।

यह अधिनियम केंद्र को किसी भी राज्य में सैन्य दस्ते को भेजने का अधिकार देता है। लेकिन प. बंगाल सरकार ने अंतरमंत्रालीय टीम को जमीनी स्तर पर स्थितियों का आकलन करने से रोक दिया। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने प्रधानमंत्री मोदी को पत्र तक लिख डाला और कहा कि केंद्रीय टीम का भेजा जाना संघवाद की भावना के विरुद्ध है। अंतत: केंद्रीय गृह सचिव के हस्तक्षेप के बाद राज्य सरकार होश में आई और केंद्रीय टीम को दौरा करने की अनुमति दी गई। कोराना महामारी के इस महासंकट के दौर में राज्य और केंद्र को एकजुट होकर लड़ाई लड़नी है, लेकिन यह संदेश तो प्रेषित हो ही गया कि हम साथ-साथ नहीं हैं।



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