निर्णायक चरण
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आगामी 3 मई तक लॉक-डाउन को बढ़ाने की घोषणा कर दी है।
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इस घोषणा में कुछ भी अप्रत्याशित नहीं था। कई राज्य पहले से ही अपने यहां लॉक-डाउन की घोषणा कर चुके थे। सभी देशवासी यह अपेक्षा कर रहे थे कि लॉक-डाउन बढ़ा दिया जाएगा। लॉक-डाउन की यह अवधि निर्णायक और अत्यधिक महत्त्वपूर्ण है। पिछला लॉक-डाउन जब शुरू हुआ था तो पूरे देश में असमंजस जैसी स्थिति बन गई थी। बहुत से लोग इसकी गंभीरता को समझ नहीं पाए थे।
बहुत से लोगों ने इसे महज एक शिगूफा के रूप में लिया और ऐसे लोगों की भी अच्छी-खासी संख्या थी, जिन्होंने लॉक-डाउन का उल्लंघन किया। खुलेआम आवाजाही की, धार्मिक आयोजनों में भीड़ भी जुटाई और कोरोना के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे डॉक्टर, नर्स और पुलिसकर्मियों पर हमले भी किए। ऐसे लोगों ने निश्चित तौर पर सरकार के साथ असहयोग किया। इन वजहों से देश में कोरोना का गंभीर प्रसार हुआ, जिसे रोका जा सकता था। लेकिन 14 अप्रैल को लॉक-डाउन की अवधि समाप्त होते-होते समूची आवाजाही रुक गई है। सारे आयोजनों पर पुख्ता तौर से रोक लग गई है। सरकार और प्रशासन की सख्ती के कारण किसी भी स्थान पर लोगों का जमावड़ा नहीं हो पा रहा है।
पिछले लॉक-डाउन में जो भी प्रशासनिक गड़बड़ियां थी, उन्हें भी दूर कर लिया गया है। इस बार प्रधानमंत्री मोदी ने सख्ती के भी संकेत दिए हैं। इसका अर्थ यह हुआ कि अगर कोई भी लॉक-डाउन का उल्लंघन करता है वह चाहे कोई भी हो, उसके साथ रियायत नहीं बरती जाएगी। कुछ लोगों की जहालत को देखते हुए सख्ती का स्पष्ट संकेत देना बहुत आवश्यक था। लॉक-डाउन का यह अगला चरण देश के लिए बहुत महत्त्वपूर्ण है। प्रधानमंत्री मोदी ने यह भी घोषणा की है कि जिन क्षेत्रों में कोरोना का प्रसार रुक गया है, नये हॉट स्पाट नहीं बने हैं वहां कुछ शतरे के साथ छूट दी जाएगी।
उम्मीद की जानी चाहिए कि लॉक-डाउन की इस अवधि में कोरोना के प्रसार पर नियंत्रण कर लिया जाएगा। यह संभावना इसलिए ज्यादा है कि प्रारंभिक चरण की सारी गलतियों को सुधार लिया गया है। और प्रशासनिक तथा चिकित्सीय व्यवस्थाएं दुरुस्त कर ली गई है। उम्मीद है कि जो समूह लॉक-डाउन की उपेक्षा करने और असहयोग की मन:स्थिति में फंसे हुए हैं, वे मानवीय जीवन की खातिर सरकार का सहयोग करेंगे।
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