जमात ने खड़ी की चुनौती
यह बहुत हैरानी की बात है कि सरकार, चिकित्साकर्मी और पुलिस प्रशासन जहां एक ओर कोरोना जैसी खतरनाक महामारी को फैलने से रोकने के लिए अपनी जान जोखिम में डालकर इसके विरुद्ध संघर्ष कर रहे हैं तो वहीं दूसरी ओर तब्लीग-ए-जमात जैसी गैर जिम्मेदार संस्था ने लोगों की जिंदगी से खिलवाड़ किया।
जमात ने खड़ी की चुनौती |
इस संस्था ने कोरोना जैसी गंभीर और खतरनाक बीमारी की गंभीरता को नहीं समझा। और सरकार के आदेशों की अवज्ञा की।
अब इसके परिणाम धीरे-धीरे सामने आने लगे हैं। बीते मंगलवार से कोरोना पॉजिटीव मामलों की संख्या ज्यादा बढ़ी है। स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के संयुक्त सचिव का यह मानना है। मंत्रालय ने बीते बुधवार को सुबह नौ बजे जो आंकड़े जारी किए उसके मुताबिक देश में कुल मामलों की संख्या 1637 बताई गई, जिनमें पिछले 12 घंटों में 240 नये मामले सामने आए हैं।
कुल 132 लोग स्वस्थ होकर अस्पतालों से जा चुके हैं और 1466 मरीजों का देश के अलग-अलग अस्पतालों में इलाज चल रहा है। सच तो यह है कि कोरोना को लेकर देश के सभी मुसलमान बुद्धिजीवियों ओैर उलेमाओं ने लगातार अपीलें जारी कीं कि मुसलमान घर पर रहकर ही नमाज पढ़ें। मस्जिदों में न जाएं। लॉक-डाउन के नियमों का पालन करें और कोरोना महामारी से बचने की जो सावधानियां और ऐहतियात बताई जा रही हैं, उसे बरतें।
लेकिन इसके बावजूद निजामुद्दीन स्थित तब्लीग-ए-जमात से जुड़े मौलाना और अन्य लोगों ने सरकार के किसी आदेश का पालन नहीं किया। और अपने कार्यक्रमों को जारी रखा। इसका मतलब साफ है कि उन्होंने यह समझ लिया था कि इस्लाम उनके जैसे कुछ चंद लोगों की जागीर है और बाकी दुनिया से इस्लाम का कोई रिश्ता ही नहीं है। दरअसल, ऐसे लोग तो सरकार के लिए चुनौती हैं ही, लेकिन सबसे बड़ी चुनौती इस्लामी विवेक के लिए है।
इन्हीं की करतूतों की वजह से न केवल नई दिल्ली के निजामुद्दीन स्थित तब्लीग-ए-जमात में कोरोना महामारी फैली बल्कि देश के विभिन्न हिस्सों में भी यह महामारी फैल रही है। जाहिर है पुलिस और प्रशासन के लिए सबसे बड़ी चुनौती यह है कि उन लोगों को ढूंढकर निकालना जो जमात से लौटकर पॉजीटिव पाए जाने वाले लोगों के संपर्क में आए हैं। क्योंकि ऐसे लोग कहां-कहां गए यानी अपनी यात्रा का विवरण देने से ना-नुकुर कर रहे हैं।
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