सराहनीय पहल
दिव्यांगों के लिए विशेष व्यवस्था न हो तो उनका जीवन और दूभर हो जाता है।
![]() सराहनीय पहल |
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने प्रयागराज में दिव्यांगों और वरिष्ठ जनों को रिकॉर्ड संख्या में सहायक उपकरण बांटकर यही जताने का प्रयास किया कि उनकी सरकार इस दिशा में पूर्व की सारी सरकारों से अलग एप्रोच लेकर काम कर रही है। प्रधानमंत्री के भाषण से देश को इस बात का पता चला कि दिव्यांगों को लेकर उन सारे पहलुओं पर काम किया जा रहा है जो लंबे समय से उठाए जाते रहे हैं।
दुर्भाग्य से हमारे देश में उनकी चर्चा तो होती रही, अनेक कल्याणकारी कार्यक्रम भी बने, पर बिल्कुल फोकस करने की उनकी समस्याओं को समझने और उसके अनुरूप व्यवस्था करने का काम काफी कम हुआ। आंकड़ों के अनुसार मोदी सरकार ने पांच वर्ष में करीब नौ हजार शिविर लगाए जिनमें 900 करोड़ के उपकरण बांटे गए। यह सच है कि पूर्व सरकार में 380 करोड़ के उपकरण बांटे गए। यहां मूल बात यह नहीं है कि किस सरकार ने कितना किया, महत्त्वपूर्ण यह है कि दिव्यांगों की ओर सत्ता का ध्यान आया और उनकी समस्याओं का गहराई से अध्ययन कर उसे दूर करने तथा उनके जीवन के अनुकूल व्यवस्था करने के कदम उठाए जा रहे हैं।
मसलन, सुगम्य भारत अभियान के तहत काफी संख्या में सरकारी इमारतों को दिव्यांगों के लिए सुगम्य बनाया गया। 700 से अधिक रेलवे स्टेशन एवं हवाई अड्डे सुगम बनाए गए। उनकी भाषाई दिक्कतों को दूर करने के लिए इंडियन साइन लैंग्वेज रिसर्च एंड ट्रेनिंग सेंटर की स्थापना हुई जिसने एक आम भाषा पर काम किया है। छह हजार आम शब्दों का शब्दकोष तैयार हुआ। 4000 से अधिक सरकारी वेबसाइटों और मुद्रा को दिव्यांगजनों के अनुकूल बनाए जाने का दावा भी है।
दिव्यांगजनों के अधिकारों को एकदम स्पष्ट करने वाले कानून का अभाव था जिसे पूरा किया गया। अब दिव्यांगजनों के सात अलग-अलग वर्गों को बढ़ाकर 21 कर दिया गया। आरक्षण तीन प्रतिशत से बढ़ाकर चार प्रतिशत किया गया। उच्च शिक्षण संस्थानों में तीन प्रतिशत को पांच प्रतिशत किया गया। ग्वालियर में एक क्रीड़ा केंद्र भी बनाने की तैयारी है। करीब पांच लाख दिव्यांगों का कौशल विकास भी किया गया और यह काम जारी है। ये सारे काम यकीनन प्रशंसनीय हैं।
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