आतंकवाद पर काबू

Last Updated 25 Feb 2020 04:34:23 AM IST

यह खबर निश्चय ही राहत देने वाली है कि जम्मू कश्मीर में आतंकिदियों की संख्या गिनने लायक रह गई है, घुसपैठ में भी भारी गिरावट आई है।


आतंकवाद पर काबू

जम्मू कश्मीर के पुलिस महानिदेशक दिलबाग सिंह के अनुसार कश्मीर में सूचीबद्ध आतंकवादियों की संख्या 240-250 तक सिमट चुकी है। अर्थ साफ है। ऑल आउट अभियान का व्यापक असर हुआ है। पिछले करीब चार वर्षो में रिकॉर्ड संख्या में आतंकवादी मारे गए हैं। इसी वर्ष 12 अभियानों में 25 आतंकियों को मार गिराया गया है।

इनमें चार आतंकवादी ही जम्मू संभाग में मारे गए, शेष कश्मीर में। ऑपरेशन ऑल आउट को बड़ी ताकत अनुच्छेद 370 हटाने के बाद उठाए गए सुरक्षा कदमों से मिली है। इसमें आतंकियों की मदद करने वाले चेहरों को पकड़ना शामिल है। अनेक ओवरग्राउंड वर्करों की पहचान तो पहले से ही थी, लेकिन सुरक्षा बल प्राय: उनको पकड़ने से बचते थे, क्योंकि उनमें से अनेक का रसूख काफी था।

आतंकियों के लिए आंख, नाक और कान की भूमिका निभाने वाले इन लोगों को पकड़े जाने में तेजी आने से आतंकियों के लिए अपनी गतिविधियों को अंजाम देना कठिन हो गया है। पुलिस महानिदेशक की इस बात को अभी स्वीकार करने में समस्या नहीं है कि आतंकियों की नई भर्ती लगभग थम चुकी है। इनको साथ मिलाकर देखें तो आने वाले समय में कश्मीर को आतंकवाद से मुक्ति का संकेत मिलता है। इसमें दो राय नहीं कि जम्मू कश्मीर में आतंकवाद का मुख्य स्त्रोत सीमा पार रहा है। किंतु इनका दमन करने के लिए राजनीतिक इच्छा शक्ति तथा सुनियोजित रणनीति का अभाव रहा। भाजपा द्वारा मेहबूबा मुफ्ती सरकार से समर्थन वापसी के साथ ही केंद्र ने नया मोड़ लिया। परिणाम हमारे सामने हैं।

पुलवामा हमले के बाद वायु सेना के विमानों द्वारा सीमा पार कार्रवाई को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। उसने आतंकवाद के विरु द्ध संघर्ष को एक नया आयाम दिया। विश्व समुदाय को भी अहसास हुआ कि पाकिस्तान को नहीं रोका गया तो भारत इससे आगे जाएगा। उसके बाद चीन के न चाहते हुए मसूद अजहर अतंरराष्ट्रीय आतंकी घोषित किया गया। पाकिस्तान हाफिज सईद के खिलाफ कदम उठाने को मजबूर हुआ। कामना है कि भारत आतंकवाद के खात्मे में सफल हो तथा जम्मू कश्मीर फिर से धरती का स्वर्ग बन सके।



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