दबाव में दी सजा

Last Updated 14 Feb 2020 12:07:20 AM IST

जमात-उद-दावा के सरगना हाफिज सईद तथा उसके करीबी को मिली सजा से इतना तो साबित हो गया कि अंतरराष्ट्रीय दबाव का असर पाकिस्तान की इमरान खान सरकार पर है, अन्यथा उसका मुकदमा ठीक से लड़ा ही नहीं जाता।


दबाव में दी सजा

पाकिस्तान की आतंक रोधी अदालत (एटीसी) ने सईद और उसके करीबी जफर इकबाल को आतंकवाद के वित्त पोषण के दो मामलों में साढ़े पांच-पांच साल कैद की सजा सुनाई। दोनों सजा एक साथ चलेंगी। चूंकि न्यायालय ने सईद की आतंकवाद के वित्त पोषण मामले में उसके खिलाफ चल रहे छह मामलों को एक साथ जोड़ने की अपील भी स्वीकार कर ली, इसलिए आने वाले समय में उसको और सजा मिल सकती है। उसके खिलाफ आतंकवाद के वित्त पोषण को लेकर कुल 23 मुकदमे दर्ज हैं। दो में सजा के बाद उसके खिलाफ अब भी 21 मामले कायम हैं।

हमारे लिए यह ज्यादा राहत की बात इसलिए नहीं है कि संसद हमले से लेकर 2006 के मुंबई उपनगरीय रेलों पर तथा फिर 26 नवम्बर, 2008 को सबसे भयावह मुंबई हमले को लेकर पाकिस्तान की यही एटीसी टालमटोल का रवैया अपनाती रही है। उसे संयुक्त राष्ट्र द्वारा आतंकवादी घोषित कराया जा चुका है। अमेरिका ने उस पर एक करोड़ डॉलर का इनाम रखा है, तो उसके आतंकवादी होने में दुनिया को कोई संदेह नहीं था। पर पाकिस्तान में उसे पूरा सम्मान और काम करने की स्वतंत्रता प्राप्त थी। लगता है कि पेरिस स्थित फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) की काली सूची में डाले जाने की आशंका ने पाकिस्तान को मजबूर कर दिया कि वह कुछ कार्रवाई करके दिखाए। इसी में सईद एवं अन्य कई सरगनाओं पर मुकदमे दर्ज हुए।

सईद चूंकि दुनिया भर के रडार पर है, इसलिए उसके मामले की तेजी से सुनवाई हुई। सईद को पिछले साल 17 जुलाई को गिरफ्तार किया गया था। साढ़े छह महीने में आरोप पत्र से लेकर न्यायिक प्रक्रिया का पूरा होना पाकिस्तान के अतीत को देखते हुए असाधारण है। उसे सजा उस दिन मिली है जिसके चार दिन बाद ही पेरिस में एफएटीएफ की बैठक है।  यह टाइमिंग बताती है कि किस इरादे से उस पर कानूनी कार्रवाई की गई है। निश्चय ही पाकिस्तान इसे आतंकवाद के वित्त पोषण के खिलाफ अपनी नेकनीयती के बतौर सबूत पेश करेगा। एफएटीएफ इसे किस तरह लेता है, उसका क्या फैसला होता है, इस पर दुनिया की नजर होगी। पर इससे पाकिस्तान का पक्ष मजबूत हुआ लगता है।



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