पेशावर में हत्या

Last Updated 07 Jan 2020 01:56:19 AM IST

पाकिस्तान के पेशावर में एक युवक की हुई हत्या ने इस बात की फिर से पुष्टि की है कि वहां अल्पसंख्यकों को किन हालात में रहना पड़ रहा है?


पेशावर में हत्या

एक दिन पहले ही गुरु नानक देव जी के जन्मस्थल ननकाना साहिब गुरु द्वारा पर हुआ हमला अभी सुर्खियों में था कि अब दूसरी घटना घट गई। मृतक के पत्रकार भाई ने अपनी पीड़ा व्यक्त करते हुए जो कुछ कहा, उससे पाकिस्तान सरकार के इस दावे की धज्जियां उड़ जाती हैं कि वह अल्पसंख्यकों की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है। युवक की अगले सप्ताह शादी होने वाली थी और इसीलिए वह मलयेशिया से वापस आया था। युवक के भाई को कुछ लोगों ने फोन किया कि तुम्हारे भाई को हमने मार दिया है।

उसकी लाश खेत में पड़ी है,  ले जाओ। इस घटना के पीछे के कारण को समझना बिल्कुल आसान है। अल्पसंख्यकों पर हो रहे जुल्म और प्रशासन की लापरवाही को पत्रकार होने के नाते वह व्यक्ति लगातार उजागर कर रहा था। जाहिर है, कट्टरपंथी उससे नाराज थे और उन्होंने सबक सिखाने के लिए उसके भाई की हत्या कर दी। ननकाना साहिब में उपद्रव कर रहे मुस्लिमों का गुस्सा इस बात पर था कि सिख समुदाय अपनी लड़कियों के धर्म बदल कर निकाह करने को लेकर हंगामा करता है। उनके अनुसार ये लड़कियां स्वयं धर्म बदलकर निकाह करती हैं, और सिख समुदाय उन पर जबरन ऐसा करने का आरोप लगाता है।

पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों की भयावह स्थिति पर संयुक्त राष्ट्र संघ से लेकर अन्य अनेक अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं ने अपनी रिपोर्ट दी है। इसलिए यह केवल भारत के आरोपों का मामला नहीं है। ननकाना साहिब की घटना एक लड़की के अपहरण कर धर्म परिवर्तन करने और निकाह कर देने से जुड़ी हुई है। पेशावर में मृतक के भाई पत्रकार ने अपने को मजलूम कौम बताते हुए वहां उपस्थित पत्रकारों से मदद की गुहार की।

उसने यही कहा कि हम अल्पसंख्यकों के नाम पर दुनिया भर से पाकिस्तान को फंड मिलता है, लेकिन हमारी दशा दिन-प्रतिदिन बुरी होती जा रही है। यह आवश्यक है कि एक ओर पाकिस्तान पर गैर-मुस्लिमों की सुरक्षा तथा उनके सम्मानपूर्वक जीवन की स्थिति के लिए दबाव बनाया जाए। दूसरी ओर भारत अपने को इतना उदार बनाए रखे कि वहां से दुखी होकर भाग कर आने वाले को यहां के संवैधानिक और कानूनी ढांचे में जगह मिल सके।



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