खाड़ी युद्ध के खतरे
अमेरिका-ईरान टकराव अब खुले युद्ध की ओर बढ़ता दिख रहा है। इससे दुनिया भर में चिंताएं बढ़ गई हैं।
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शनिवार को बगदाद में अमेरिकी ठिकानों के पास दो विस्फोट के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ईरान के 54 ठिकानों को नष्ट करने की धमकी दी है। ट्रंप ने ट्विट किया कि ऐसा हमला होगा कि ईरान सोच भी नहीं सकता। शुक्रवार को इराक के बगदाद हवाई अड्डे पर ईरान के रिवोल्यूशनरी गार्ड के प्रमुख और सैन्य मामलों में सबसे ताकतवर माने जाने वाले कासिम सुलेमानी की मिसाइल हमले में मौत के बाद ईरान ने कड़ा बदला लेने की बात कही थी। मतलब तनाव बढ़ता ही जा रहा है और इसके नतीजे दुनिया भर को झेलने पड़ सकते हैं।
तेल की कीमतों में इजाफा दिखने लगा है और भारत के लिए तो मारक सिद्ध हो सकता है। अगर तेल की बढ़ती कीमतों की मार पड़ी तो संकट बढ़ सकता है। भारत लगभग 85 प्रतिशत तेल आयात करता है और खाड़ी में अस्थिर हालात से उसे संकट का सामना करना पड़ सकता है। इसके अलावा इससे भू-राजनैतिक स्थितियां भी बुरी तरह गड़बड़ा सकती हैं। इसलिए ट्रंप के मौजूदा फैसले से यूरोप के देश भी सन्न हैं। फ्रांस के राष्ट्रपति मैकरां ने भारी चिंता जाहिर की है।
अमेरिकी कांग्रेस की स्पीकर नैनसी पेलोसी ने कहा है कि ट्रंप प्रशासन ने अचानक बेहद भड़काऊ और असंतुलित सैन्य कार्रवाई के जरिए अमेरिकी लोगों, हमारे सहयोगियों और पूरी दुनिया के लिए जोखिम पैदा कर दिया है। वैसे राजनैतिक हलकों में चर्चा गरम है कि अमेरिका में चल रही महाभियोग की कार्रवाई से ध्यान हटाने और अपनी छवि की कुछ नुकसान भरपाई के लिए ट्रंप को नये मुद्दे की दरकार थी। गौरतलब है कि अमेरिका में चुनावी वर्ष है और ट्रंप को दोबारा चुनाव जीतने के लिए किसी भावनात्मक मुद्दे की जरूरत हो सकती है।
लेकिन इतना तो तय लगता है कि इस तनाव का खमियाजा पूरी दुनिया को और खासकर भारत जैसे देशों को भुगतना पड़ सकता है। उम्मीद यही की जा सकती है कि यह तनाव खुले युद्ध का रूप न ले। वरना खाड़ी देशों में लगभग तीन दशकों बाद कुछ स्थिरता आती दिख रही थी, वह फिर युद्ध में झोंक दिया जाएगा। भारत के लिए मुश्किल दोहरी है। ईरान और कई खाड़ी मुल्कों से दोस्ताना रिश्तों से वह पाकिस्तान को खासकर कश्मीर के मामले में अलग-थलग करने में कुछ हद तक कामयाब हुआ था, खाड़ी देशों में तीखे विभाजन से यह स्थिति भी बदल सकती है।
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