विनिवेश रणनीति के मायने
एक महत्त्वपूर्ण फैसले में सरकार ने महत्त्वपूर्ण सार्वजनिक उपक्रमों में इस तरह से विनिवेश का फैसला लिया है कि विनिवेश के बाद इन उपक्रमों में सरकार के पास प्रबंध नियंत्रण रह जाएगा।
विनिवेश रणनीति के मायने |
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बताया कि भारत पेट्रोलियम में सरकार अपनी समूची हिस्सेदारी-53.3 प्रतिशत, शिपिंग कारपोरेशन आफ इंडिया में अपनी समूची हिस्सेदारी 63.8 प्रतिशत, कोनकार में 30.8 प्रतिशत हिस्सेदारी किसी रणनीतिक निवेशक को बेच देगी। यानी इन महत्त्वपूर्ण सार्वजनिक उपक्रमों में सरकार का प्रबंध हस्तक्षेप नगण्य हो जाएगा, ऐसा अभी मानकर चला जा सकता है।
इसके अलावा टेहरी हाइड्रो में सरकार अपनी सारी हिस्सेदारी 74.2 प्रतिशत और नीप्को में समूची शत प्रतिशत हिस्सेदारी एनटीपीसी को दे देगी। बुधवार, 20 नवम्बर 2019 को मुंबई शेयर बाजार में सूचीबद्ध भारत पेट्रोलियम, कोनकार और शिपिंग कारपोरेशन के शेयर भावों को देखें, तो सरकार को इन उपक्रमों में विनिवेश करके करीब 84000 करोड़ रु पये हासिल होने की संभावना है। गौरतलब है कि 2019-20 के लिए सरकार का विनिवेश लक्ष्य 1.05 लाख करोड़ रु पये का है। अब तक करीब 17,264 करोड़ रु पये सरकार को विनिवेश से मिल चुके हैं।
यानी हालिया घोषणाओं के बाद यह तो साफ हो गया कि सरकार अपने 1.05 लाख करोड़ के वित्तीय लक्ष्य को तो हासिल कर लेगी। पर दूसरे अहम सवालों की ओर ध्यान देना भी जरूरी है। विनिवेश का आखिर उद्देश्य है क्या। सरकार कुछ करोड़ रु पये हासिल कर ले और उसे अपने खजाने में डालकर उसका अपने हिसाब से प्रयोग कर ले। यह तो बहुत बुनियादी उद्देश्य है। पर दूसरा बड़ा उद्देश्य है कि विनिवेश के जरिये कंपनियों में प्रबंध के स्तर पर नया कौशल नई दृष्टि लाई जाए। सरकार को कारोबार नहीं करना चाहिए, इस पुरानी सूक्ति को यह सरकार बराबर मान्यता देती रही है।
यानी सरकार तमाम किस्म के कारोबारों से दूर होना चाहती है। पर जिन कारोबारों से सरकार दूर नहीं हो सकती, उन कारोबारों को विनिवेश के जरिये नई प्रबंधकीय दृष्टि से लैस करना संभव है। रणनीतिक निवेश की परिभाषा है कि सरकार रणनीतिक निवेश के तहत पचास प्रतिशत या इससे भी अधिक की हिस्सेदारी बेच सकती है। रणनीतिक विनिवेश के इन फैसलों के परिणाम से विनिवेश के मामले में आगे बहुत कुछ तय होगा।
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