सारी अनिश्चितता के बावजूद
हाल के अरब के दौरे में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने दुनियाभर में ‘‘आर्थिक अनिश्चितता’ के दौर को ‘असंतुलित बहुआयामी व्यापार’ का नतीजा बताते हुए कहा कि भारत ने सुधारों की दिशा में अनेक कदम उठाए हैं, जिनके चलते वह स्थिरता का केंद्र बना हुआ है।
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प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, व्यापार सुगमता के लिए उठाए गए भारत के कदमों और निवेशकों के अनुकूल अनेक पहल किए जाने से विश्व बैंक के व्यापार सुगमता सूचकांक में भारत की रैंकिंग 63 पर आ गई है। सरकार की मेक इन इंडिया, डिजिटल इंडिया, स्किल इंडिया, स्वच्छ भारत, स्मार्ट सिटी और स्टार्टअप इंडिया जैसी योजनाओं से विदेशी निवेशकों के लिए संभावनाएं बढ़ी है। यह बात अपनी जगह सही है कि दुनिया की धीमी पड़ती अर्थव्यवस्था में वह पांच प्रतिशत विकास दर भी बेहतरी ही मानी जाएगी, जो हाल में भारतीय अर्थव्यवस्था को लेकर सामने आई थी।
कुछ समय पहले केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक वित्त वर्ष 2019-20 की पहली तिमाही यानी अप्रैल-जून 2019 में सकल घरेलू उत्पाद में विकास दर सिर्फ पांच प्रतिशत रही है। ठीक इस अवधि में एक साल पहले यह आठ प्रतिशत थी। यानी अभी बहुत काम किया जाना बाकी है। खासतौर पर भारतीय अर्थव्यवस्था के संदर्भ में यह देखना होगा कि केंद्र से लेकर राज्य स्तर पर इतनी तरह की चुनौतियां अर्थव्यवस्था में हैं, कि उनसे लगातार निपटना जरूरी है।
भारत विदेशी निवेश का बहुत महत्त्वपूर्ण केंद्र बन सकता है, ऐसा देखने में आ रहा है कि चीन अमेरिका व्यापार युद्ध के चलते कई कंपनियां अपना कारोबार चीन से समेट रही है। पर इनमें से अधिकांश भारत नहीं आ रही हैं। वो वियतनाम, फिलीपीन्स, बांग्लादेश जा रही हैं। कारोबारी सुगमता की बात अपनी जगह सही है, पर यह देखना जरूरी है कि कारोबारी सुगमता की रैंकिंग अब तक मुंबई और दिल्ली की स्थितियों के आधार पर ही बनती रही है।
यानी समग्र भारत की तस्वीर के दशर्न उसमें नहीं होते। कानपुर से लेकर कोलकाता में भी कारोबारी सुगमता होनी चाहिए। पीएम मोदी को अपने स्तर पर देखना चाहिए कि किस तरह से कारोबार को ईमानदारी से करना आसान हो जाए। तेजी मंदी की स्थितियां तो आती जाती रही हैं, पर मूल चुनौती ऐसा ढांचा तैयार करने की है, जिसमें कारोबार करना सुगम हो, और ऐसा सिर्फ महानगरों में ही न हो।
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