कायरता की हद
जम्मू कश्मीर के कुलगाम में गैर कश्मीरी मजदूरों की हत्या हाल के दिनों की सबसे बड़ी आतंकवादी घटना है।
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5 अगस्त 2019 को जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 खत्म करने के बाद हुई सुरक्षा सख्ती के कारण आतंकवादी बड़ी वारदात करने में सफल नहीं हो रहे थे। साफ है कि उन्होंने हताशा में अपनी रणनीति बदली है। इसके एक दिन पहले एक ट्रक चालक की हत्या कर दी गई। कुल मिलाकर आतंकवादियों ने इस दौरान पांच ट्रक चालकों की हत्या की है। आतंकवादी किसी तरह जम्मू-कश्मीर में भारत को विफल करना चाहते हैं। ट्रक चालक की हत्या करने का एक ही उद्देश्य हो सकता है, इनके प्रदेश में आवागमन को रोकना।
सरकार ने सेब के व्यापारियों को वचन दिया था कि उनकी पैदावार पहले से स्थापित बाजारों में जाएंगी और उसकी व्यवस्था भी की, स्वयं भी खरीदा। ट्रकों से जम्मू-कश्मीर के लिए अन्य सामग्रियों का आवागमन भी होता है। तो आतंकवादी इसे रोकना चाहते हैं। ट्रक चालकों की हत्या से वे भय पैदा कराना चाहते हैं ताकि दूसरे ट्रक न वहां जाएं न वहां से निकले। इसी तरह एक गांव में घुसकर वहां काम करने वाले पश्चिम बंगाल के मजदूरों को भूनकर वे वहां कार्यरत या काम के लिए जाने वाले हर श्रेणी के कर्मिंयों को भयभीत कर रहे हैं।
हालांकि ट्रक चालकों की हत्याओं के बावजूद ट्रक आ जा रहे हैं। हां, सुरक्षा के कारण कई बार उन्हें कहीं-कहीं काफी देर तक रोकने की नौबत आ रही है। इन्होंने ऐसे समय हमले किए जब यूरोपीय संघ के सांसदों का प्रतिनिधिमंडल वहां के दौरे पर है। उन्होंने भी आतंकवादियों की करतूतों को निकट से देखा। किंतु हमारी चिंता आतंकवादियों की इस रणनीति को लेकर है। इसका मनोवैज्ञानिक असर न हो इसके लिए केंद्र सरकार के साथ जम्मू-कश्मीर प्रशासन को ऐसा संदेश देना होगा, जिससे वे आस्त हो सकें कि उनकी सुरक्षा को कोई खतरा नहीं है।
आतंकवादियों का मुख्य निशाना सुरक्षा बल हैं, पर वे इनको क्षति पहुंचाने में सफल नहीं हो रहे। अपनी विफलता देख वे रणनीति बदलने को मजबूर हुए हैं। निहत्थे चालकों और मजदूरों की हत्या कायरता है। अगर आतंकवादी इस गलतफहमी में हैं कि वो ऐसा कर जम्मू-कश्मीर को शेष भारत से अलग कर देंगे तो उनको सफलता नहीं मिलने वाली। पूरा भारत इस समय जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद एवं अलगाववाद का अंत चाहता है। देश का निश्चय दृढ़ है। वे मारे जाएंगे और पराजित होंगे।
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