ट्रंप के खिलाफ महाभियोग

Last Updated 01 Nov 2019 05:49:54 AM IST

अमेरिकी कांग्रेस के निचले सदन प्रतिनिधि सभा में डेमोक्रेटिक पार्टी द्वारा राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के खिलाफ महाभियोग प्रक्रिया के अगले कदम से संबंधी प्रस्ताव पेश करने के साथ पूरी दुनिया का ध्यान उस ओर जाना स्वाभाविक है।


ट्रंप के खिलाफ महाभियोग

प्रतिनिधि सभा में डेमोक्रेट बहुमत में हैं। ट्रंप पर आरोप है कि उन्होंने अपने प्रतिद्वंद्वी जो बाइडेन और उनके बेटे के खिलाफ यूक्रेनी गैस कंपनी बुरिश्मा में निराधार भ्रष्टाचार के मामले की जांच के लिए यूक्रेन पर दबाव डाला। हालांकि राष्ट्रपति के खिलाफ महाभियोग की प्रक्रिया इतनी जटिल है कि इसका कई चरणों से गुजरते हुए अंतिम पड़ाव तक पहुंचकर पारित होना काफी कठिन होगा। किंतु चुनाव के बीच यह मुद्दा तो बन ही गया है।

आठ पन्नों के प्रस्ताव में ज्यादा सार्वजनिक जांच करने और मुख्य भूमिका कांग्रेस की खुफिया मामलों की समिति के प्रमुख एडम स्किफ को देने की बात कही गई है। ह्वाइट हाउस की प्रवक्ता अगर इसे ढकोसला और नियमों को दरकिनार कर लाया गया प्रस्ताव कहकर खारिज कर रहे हैं तो यह स्वाभाविक है। ह्वाइट हाउस ने अध्यक्ष स्किफ पर लगातार अमेरिकी जनता से झूठ बोलने और दो चरण में एकतरफा सुनवाई कर न्यायिक समिति के लिए पक्षपातपूर्ण रिपोर्ट तैयार करने का आरोप लगाया है।

यह भी कहा है कि व्हाइट हाउस को प्रक्रिया में हिस्सा लेने से रोका गया। लेकिन सदन में नियम समिति के अध्यक्ष जेम्स पी मैक्गवर्न का यह कहना महत्त्वपूर्ण है कि राष्ट्रपति द्वारा ताकत के दुरूपयोग एवं राष्ट्रीय सुरक्षा और चुनाव प्रक्रिया की शुचिता से समझौता करने के पुख्ता सबूत हैं। ध्यान रखिए, प्रतिनिधि सभा की चार समितियों ने जांच करने का दावा किया है कि जांच में विस्तृत सबूत और बयान एकत्र हुए हैं।

ये इस बात पर अडिग है कि ऐसे सबूत एकत्र कर लिये गए हैं, जो साबित करते हैं कि राष्ट्रपति ने अपनी ताकत का दुरूपयोग सरकार के विभिन्न स्तरों पर दूसरे देशों पर दबाव बनाने एवं 2020 के चुनाव में हस्तक्षेप करने के लिए किया। हालांकि ट्रंप की रिपब्लिकन पार्टी उनके साथ दिखती है। उसके सांसद ह्वाइट हाउस की भाषा बोल रहे हैं। मगर सदन की न्यायिक समिति के अध्यक्ष ने स्पष्टीकरण दिया है कि समिति गंभीरता से अपना काम पूरा करेगी। महाभियोग का भविष्य कुछ भी हो, ट्रंप एवं उनके रणनीतिकारों को इसमें उलझना पड़ेगा और जवाब भी देना होगा। इससे उनका चुनाव अभियान प्रभावित हो सकता है।



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