बगदादी का अंत

Last Updated 30 Oct 2019 04:13:42 AM IST

आतंकवादी अबू बकर अल बगदादी का मारा जाना आतंकवाद विरोधी युद्ध के अध्याय की हाल के वर्षो की सबसे महत्त्वपूर्ण सफलता मानी जाएगी।


बगदादी का अंत

2 मई 2011 को जब पाकिस्तान  में ओसामा बिन लादेन को अमेरिकी सैनिकों ने मारा था उस समय की वह सबसे बड़ी सफलता थी। लेकिन अल बगदादी के जैसा क्रूर, वहशी और खतरनाक आतंकवादी दुनिया ने इसके पहले कभी देखा नहीं था। वह पहला ऐसा आतंकवादी था जिसने इराक और सीरिया के बड़े भाग पर कब्जा करके खलीफा का साम्राज्य स्थापित करने की घोषणा की।

जितनी भौगोलिक सीमा पर उसका नियंत्रण था उसमें उसने अपने नजरिए का जो इस्लामिक साम्राज्य कायम किया उसमें बेरहम हत्या, बलात्कार, जबरन गुलाम बनाना, महिलाओं को गुलाम बनाकर बाजारों में बेचना, हत्याओं का वीडियो जारी करना आदि शामिल था। अपने वीडियो से वह पूरी दुनिया में दहशत कायम करना चाहता था। साथ ही उसकी कोशिश थी कि उससे प्रभावित आतंकवादी इसी तरह हिंसा करके इस्लामी साम्राज्य स्थापित करने में सहयोग करें।

वह युवाओं के आतंकवादी बनने का सबसे बड़ा प्रेरक था। यद्यपि उसके मरने के कई दावे पहले भी किए गए लेकिन हर बार उसके जीवित होने की खबर आ गई, इसलिए जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने घोषणा किया कि बगदादी कुत्ते की मौत मारा गया है तो सहसा विश्वास करना कठिन था। लेकिन इस बार संदेह की गुंजाइश नहीं है। यह दुनिया भर में मजहबी उन्माद के तहत आतंकवादी हिंसा करने वाले सभी जिहादियों के लिए संदेश है कि एक दिन उनकी मौत निश्चित है। बगदादी का जो भी ऑडियो और दो-तीन वीडियो सामने आए, उनमें उसकी तकरीरों से ऐसा लगता था जैसे वह अजेय है।

यही भ्रम मजहब के नाम पर अन्य आतंकवादियों के अंदर पैदा किया गया है, जिससे व अंतिम सांस तक लड़ते रहें। अगर दुनिया ने एक होकर पहले अलकायदा, तालिबान और बाद में आईएस का मुकाबला किया होता तो बगदादी इतनी बड़ी ताकत बनता ही नहीं और न जाने कब उसका खात्मा हो गया होता। बगदादी की मौत से आतंकवाद खत्म नहीं हो सकता। उसने जो खतरनाक विचार दिया है वह जिंदा है और उससे प्रेरित होकर दुनिया भर में आतंकवादी अपने तरीके से हमला कर रहे हैं या हमले की साजिश में लगे हैं। बगदादी की मौत आतंकवाद को जितना बड़ा धक्का है उसमें यदि हम एकजुट हो जाएं तो आतंकवाद का खात्मा कर सकते हैं।



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