विवाद नहीं बढ़ाएंगे

Last Updated 14 Oct 2019 04:45:35 AM IST

ऐतिहासिक शहर महाबलीपुरम में भारत और चीन के बीच अनौपचारिक शिखर वार्ता ने नि:संदेह दोनों देशों के बीच रिश्तों की नई इबारत लिखी है।


विवाद नहीं बढ़ाएंगे

चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग और भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के बीच 60 मिनट की वन-टू-वन मीटिंग में कई अहम मसलों पर न केवल चर्चा हुई वरन गंभीर सहमति भी बनी। यानी भारत-चीन संबंध अब नये पथ पर चलायमान है। मतभेदों को सुलझाने का दोनों राष्ट्रनेताओं का संकल्प वाकई राहत और प्रसन्नता की बात है। इसके बावजूद कश्मीर के मामले में बैठक के पहले चीन के यू टर्न को लेकर बहुत खुश इसलिए नहीं होने की जरूरत है क्योंकि भारत के बनिस्बत पाकिस्तान उसके ज्यादा करीब है।

इस तथ्य को भारत को मानना ही होगा। देखा जाए तो भारत और चीन के बीच वैसे तो कई विवादित मसले हैं, मगर सीमा विवाद और हिन्द महासागर में प्रभुत्व जमाने का मामला चीन के दिलों के ज्यादा नजदीक है। वह यहां भारत को उभरने देने के खिलाफ है। इसके बावजूद दोनों देश मतभेदों को विवाद नहीं बनने देने की समझ विकसित कर रिश्तों को नया आयाम देने की दिशा में अग्रसर हैं तो यह हर किसी के लिए शुभ संकेत है।

भारत के लिए बेहतरी की बात यह है कि चीन की मौजूदा स्थिति थोड़ी कमतरी वाली है। वह इस वक्त अमेरिका से जारी ट्रेड वार में उलझा हुआ है। इसके अलावा हांगकांग में तनाव और अपने मुल्क में उईगुर मुसलमानों के मामले भी उसकी दुखती रग हैं। भारत जैसे विशाल बाजार को चीन खोने की स्थिति में भी नहीं है। लिहाजा भारत के लिए यह मौका चीन को अपने मुताबिक फैसले लेने के बाध्य करने का है। भारत को चीन से मजबूत आर्थिक संबंध स्थापित करने चाहिए।

इससे दोनों मुल्कों को फायदा होगा। चीन भी इस विषय की संजीदगी को भलीभांति समझता है। यही वजह है कि उसने शिखर वार्ता से ऐन पहले कश्मीर को भारत-पाकिस्तान का द्विपक्षीय मसला करार दिया। भारत की चिंता का सबब व्यापार घाटा है। इस दिशा में काम करने की महती जरूरत है। कारोबार-निवेश बढ़ाने और आतंक से साथ लड़ने का संकल्प वक्त की मांग है। इससे अलहदा रहकर वैश्विक स्तर पर कामयाबी पाने की सोच मूर्खतापूर्ण होगी। सबकुछ उम्मीद के मुताबिक होने के बावजूद भारत को चीन की हिकमत वाली रणनीति को लेकर बेहद सतर्क रहना होगा।



Post You May Like..!!

Latest News

Entertainment