आकाश में ताकतवर
भारतीय वायुसेना के बेड़े में 8 लड़ाकू अपाचे हेलीकॉप्टर के शामिल होने से निश्चित तौर पर वायुसेना की ताकत में घनघोर इजाफा हुआ है।
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ऐसे वक्त में जब पाकिस्तान की तरफ से आतंकवादी घटनाओं का अंदेशा काफी ज्यादा है, अपाचे का आना वाकई सेना के आधुनिकीकरण की दिशा में अहम कदम है। खासकर पश्चिमी क्षेत्र में आतंकवादी हमलों की आशंका के चलते इसकी तैनाती पठानकोट एयरबेस में करने से हम सीधे इस ओर की निगरानी ज्यादा चौकस और ठोस तरीके से कर सकेंगे।
अपाचे की उपयोगिता न केवल पाकिस्तान के बालाकोट में दिखी वरन इराक और अफगानिस्तान में भी आतंकवाद पर नकेल कसने के लिए भी यह बेहद कारगर रहा है। विश्व की चौथी सबसे ताकतवर वायुसेना भारत की मानी जाती है, लिहाजा उसके बेड़े में आधुनिकतम और भरोसेमंद लड़ाकू विमान और हेलीकाप्टर का न होना थोड़ा विचलित भी करता रहा है।
शायद इन्हीं सब का दर्द अभी दो हफ्ते पहले एक समारोह में खुद वायुसेना प्रमुख एयरचीफ मार्शल बीएस धनोवा ने बयां किया था। उन्होंने पुराने पड़ चुके भारतीय वायुसेना के विमान मिग-21 पर तंज कसते हुए कहा था कि वायुसेना अभी भी 44 साल पुराने मिग-21 विमान उड़ा रही है, जबकि इतने साल बाद कोई अपनी कार तक नहीं चलाता। गौरतलब है कि वायुसेना का मिग 21 विमान चार दशक से ज्यादा पुराना हो गया है, लेकिन अभी भी यह विमान वायुसेना की रीढ़ की हड्डी बना हुआ है।
खैर अब धनोवा की खिन्नता काफी हद तक दूर हो गई होगी। निश्चित तौर पर वायुसेना पर ज्यादा दबाव इसलिए था क्योंकि इनके पास इस तरह के अत्याधुनिक विमान नहीं थे। अब उनकी शिकायतें कम जरूर हुई होंगी। मगर इस तरह की कवायद पर फिलहाल ब्रेक नहीं लगनी चाहिए। अभी तो करार के तहत फ्रांस से 2022 में राफेल लड़ाकू विमान भी शामिल होंगे।
निश्चित तौर पर नरेन्द्र मोदी सरकार सेना के आधुनिकीकरण के साथ-साथ उसके स्वदेशीकरण की दिशा में संजीदगी से पहल कर रही है। पड़ोसी मुल्कों के चाल-चलन को देखते हुए इस तरह की तैयारियां बेहद जरूरी हैं। खासकर पाकिस्तान की तरफ से जिस तरह की नापाक हरकत पहले से होती रही है, ऐसे में अपने घर को मजबूत और सुरक्षित रखने में ही समझदारी है। सरकार का यह निर्णय वाकई सराहनीय है।
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