जाधव से मुलाकात
अभी इस पर कोई स्पष्ट टिप्पणी नहीं की जा सकती कि कुलभूषण जाधव से भारत के उच्चायुक्त की मुलाकात का परिणाम क्या निकलेगा।
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जैसा विदेश मंत्रालय की ओर से कहा गया है कि मुलाकात की पूरी रिपोर्ट आने के बाद विचार किया जाएगा कि आगे क्या करना है। किंतु आम भारतीय को इससे थोड़ा संतोष हो सकता है कि अंतरराष्ट्रीय न्यायालय के निर्देश के बाद तीन साल में पहली बार इस्लामाबाद में भारत के उप उच्चायुक्त गौरव अहलूवालिया की कुलभूषण जाधव से मुलाकात संभव हुई। जो सूचना है, एक घंटे से अधिक चली मुलाकात के दौरान जाधव पाकिस्तान के अत्यधिक दबाव में दिखाई दिए। दबाव तो होगा।
जिस निर्दोष व्यक्ति को पाकिस्तान की सेना पकड़ कर जासूस और आतंकवादी तक घोषित करके फांसी की सजा दिलवा चुकी हो, वह निस्संदेह भारी दबाव में होगा। पाकिस्तान जैसे देश में, जहां सेना एक विदेशी नागरिक के बारे में न्यायिक फैसला करती हो, गढ़े गए अपराधों को कबूलने के लिए जाधव को अनेक प्रकार के उत्पीड़न का शिकार होना पड़ा होगा। जब दिसम्बर, 2017 में पाकिस्तान ने जाधव की मां एवं पत्नी को मिलने की अनुमति दी तो बीच शीशे की दीवार खड़ी करके और उनकी अपनी भाषा मराठी में नहीं। दोनों ओर माइक एवं स्पीकर लगे थे तथा सारी बातचीत टेप हो रही थी।
उसी से अंदाजा लग गया था कि जाधव पर क्या गुजर चुकी है। जाधव के अपराध कबूलने के वीडियो में भी 100 से ज्यादा कट थे एवं उनके चेहरे तक पर चोट के निशान देखे जा सकते थे। बहरहाल, पहली बार हमारे उच्चायोग को वहां तक पहुंच मिली है। मानकर चलना चाहिए कि जाधव अगर उत्पीड़न से मानसिक संतुलन नहीं खोए होंगे तथा बिल्कुल मुक्त वातावरण में मुलाकात हुई होगी तो उन्होंने सच बताया होगा। विदेश मंत्रालय ने साफ कहा है कि उन्हें न्याय दिलाने और घर वापसी के लिए हर संभव प्रयास किए जाएंगे।
तो पहले यह देखा जाएगा कि मुलाकात में अंतरराष्ट्रीय न्यायालय के आदेश का पूरा पालन किया गया या नहीं। उसके बाद आगे की कार्रवाई तय होगी। अभी तक गिरफ्तारी के बाद सब कुछ एकतरफा था। हालांकि पाकिस्तान के अंदर ही मुकदमा चलना है, तो उसके अनुसार ही सारी रणनीति बनानी होगी। जो भी हो भारत ने जाधव-मामले में दुनिया को दिखाया है कि एक नागरिक की जान बचाने के लिए देश अपनी पूरी वैधानिक और राजनयिक ताकत लगा सकता है।
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