सीबीआई की धमक
19 राज्यों के 110 स्थानों पर सीबीआई का एक साथ छापा निश्चय ही असाधारण कार्रवाई कहा जाएगा।
सीबीआई की धमक |
एक सप्ताह में सीबीआई की यह दूसरी बड़ी कार्रवाई है। दो जुलाई को सीबीआई ने 12 राज्यों के 50 स्थानों पर छापा मारा था। ये सारे छापे अलग-अलग मामलों और अलग-अलग व्यक्तियों-कंपनियों-संस्थानों के खिलाफ थे। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भ्रष्टाचार के खिलाफ शून्य सहिष्णुता की नीति घोषित की है। चुनाव अभियान में भी उन्होंने मतदाताओं से भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई के लिए जानादेश मांगा था। दोबारा सत्ता में आने के बाद बड़ी कार्रवाई में दो किश्तों में 27 अधिकारियों को या तो जबरन सेवानिवृत्ति दी गई या बर्खास्त किया गया। जिनके खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप हैं, उनके खिलाफ भी जांच तेज की गई है। छापों में बड़ी संख्या में अधिकारी-पूर्व अधिकारी, बैंकों के अधिकारी तथा निजी कंपनियां शामिल हैं। भ्रष्टाचार के साथ हथियारों की तस्करी और आपराधिक गतिविधियों में संलिप्तता जैसे मामले में डाले जा रहे इन छापों में सीबीआई को क्या प्राप्त हुआ, पता करना मुश्किल है।
सीबीआई सामान्यत: इनकी सूची तो बनाती है, लेकिन कई बार मामले की जांच की स्थिति का ध्यान रखते हुए सार्वजनिक नहीं करती। संभव है आगे और छापेमारी हो। ध्यान रखिए इसमें नोटबंदी के दौरान के मामले भी शामिल हैं। कई बैंकों ने मिलीभगत कर इसमें भ्रष्टाचार किया और उनके खिलाफ पहले भी कार्रवाई हुई है। उत्तर प्रदेश के चीनी मिल विनिवेश घोटाला मामले से संबंधित लखनऊ और एनसीआर में 11 जगहों पर छापा पड़ा है। इसमें मायावती के पूर्व सचिव आईएएस अधिकारी नेतराम के अलावा विनय प्रिय दूबे, पूर्व एमएलसी इकबाल सिंह के बेटे वाजीद अली तथा मोहम्मद जावेद जद में आए हैं। नेतराम 2007 से 2012 तक तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती के सचिव रहे थे। सीबीआई ने चीनी मिल घोटाले के संबंध में अप्रैल, 2019 में प्राथमिकी दर्ज की थी और छह अन्य मामले भी दर्ज किए थे। इसी तरह, हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेन्द्र सिंह हुड्डा के खिलाफ जमीन घोटाले के आरोप में दर्ज प्राथमिकी के संदर्भ में भी छापे मारे गए। इन कारणों से विरोधी इसे राजनीतिक रंग भी दे रहे हैं। हमारा मानना है कि सीबीआई निर्भीक कार्रवाई करनी चाहिए। सीबीआई की छवि ठीक करने के लिए भी जरूरी है कि उसकी कार्रवाई निष्पक्ष लगे। देश भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई का समर्थन करेगा बशर्ते उसके पीछे कोई राजनीतिक सोच नहीं हो।
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