अल्पसंख्यक कल्याण
प्रधानमत्री नरेन्द्र मोदी एवं उनके सहयोगियों पर अल्पसंख्यकों खासकर मुस्लिम विरोधी होने का आरोप लगाया जाता है।
अल्पसंख्यक कल्याण |
किंतु सरकार के कार्यक्रम इसके विपरीत संकेत देते हैं। मोदी सरकार ने अपने पहले कार्यक्रम से ही मुसलमानों के शैक्षणिक-सामाजिक-आर्थिक विकास के लिए विशेष कार्यक्रम चलाए हैं। अल्पसंख्यकों विशेषकर लड़कियों के सामाजिक-आर्थिक-शैक्षिक सशक्तिकरण के लिए ‘3ई’ कार्यक्रम का ऐलान उसी दिशा में अग्रसर होना है। 3 ई का मतलब एजुकेशन (शिक्षा), एम्पलॉयमेंट (रोजगार) और एम्पावरमेंट (सशक्तिकरण) है। इसमें प्री-मैट्रिक, पोस्ट-मैट्रिक और मेरिट-कम-मीन्स छात्रवृत्ति शामिल हैं, जो अगले पांच सालों तक पांच करोड़ विद्यार्थियों को मिलेंगी। लाभार्थियों में 50 प्रतिशत छात्राएं होंगी। आर्थिक रूप से कमजोर तबकों के लिए पांच सालों तक 10 लाख से ज्यादा बेगम हजरत महल गल्र्स स्कॉलरशिप की योजना है। जैसा अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा प्रधानमंत्री जन विकास केंद्र (पीएमजेवीके) के तहत स्कूल, कॉलेज, आईटीआई, पॉलिटेक्निक, गल्र्स हॉस्टल, गुरु कुल की तरह के आवासीय विद्यालय, कॉमन सर्विस सेंटर का निर्माण युद्ध स्तर पर किया जा रहा है। अल्पसंख्यक समुदायों की लड़कियों को शिक्षा के प्रति प्रोत्साहित करने के लिए उन क्षेत्रों में जहां सामाजिक-आर्थिक कारणों से बच्चों को स्कूल नहीं भेजा जाता,‘पढ़ो-बढ़ो’ जागरूकता अभियान आरंभ करने की योजना है।
वास्तव में सरकार की सारी योजनाओं को देखें तो साबित होता है कि मोदी सरकार समावेशी विकास, सर्वस्पर्शी विकास के प्रति प्रतिबद्ध है। स्कूल छोड़ने वाली लड़कियों को प्रतिष्ठित शैक्षणिक संस्थानों के ब्रिज कोर्स के जरिए शिक्षा और रोजगार से जोड़े जाने की भी योजना है। मदरसा शिक्षा में सुधार की शुरु आत मदरसा शिक्षकों के नये सिरे से प्रशिक्षण कार्यक्रम के तहत की जा रही है। सरकार अल्पसंख्यकों खासकर मुसलमान युवक-युवतियों को सक्षम बनाने के लिए जो कुछ कर रही है, उसका स्वागत किया जाना चाहिए। हां, जो योजनाएं हैं, या जो घोषणाएं की जा रही हैं, उन्हें पूरी तरह धरातल पर उतरा जाए। निश्चय ही एक वर्ग, जो अपने समुदाय के आधुनिकीकरण का विरोधी है, वह विरोध करेगा। पर उसकी चिंता किए बगैर सरकार को दृढ़ता के साथ योजनाओं का लागू करना होगा।
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