राडार वाली थ्योरी सही
उम्मीद है कि पहले थल सेनाध्यक्ष और अब वायुसेना के एक वरिष्ठ अधिकारी के कहने के बाद कि बादलों या बरसात में राडार विमान को पूरी तरह डिटेक्ट नहीं कर पाते प्रधानमंत्री का मजाक उड़ाना बंद हो जाएगा।
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वस्तुत: चुनाव अभियान के बीच प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने एक टीवी चैनल को दिए साक्षात्कार में कहा था कि सेना के अधिकारी पाकिस्तान में हवाई बमबारी को एक दो दिनों के लिए टालना चाहते थे क्योंकि घने बादल छाए हुए थे तो मैंने उन्हें कहा कि इसका लाभ यह हो सकता है कि इसमें हमारे विमान उनकी राडार की नजरों से बच जाएं। इसके बाद निर्धारित 26 फरवरी को वायुसेना के विमानों ने बालाकोट से लेकर पाक अधिकृत कश्मीर में जैश-ए-मोहम्मद के आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया। प्रधानमंत्री के साक्षात्कार पर देश में मीडिया के एक बड़े वर्ग और बुद्धिजीवियों ने उनका मजाक उड़ाना आरंभ कर दिया। राडारेन्द्र मोदी से लेकर न जाने क्या-क्या कहा गया। सोशल मीडिया पर कटाक्षों की बाढ़ आ गई। हमारे देश का दुर्भाग्य है कि किसी नेता से वैचारिक मतभेद को प्रकट करने के लिए उसका उपहास उड़ाया जाता है।
किसी ने नहीं सोचा कि प्रधानमंत्री बैठक के कुछ अंश का विवरण दे रहे थे। अगर उनकी बात मानी गई और हवाई बमबारी हुई तो इसमें तथ्य होंगे। अब चुनाव समाप्ति के बाद करगिल युद्ध में शहीद स्क्वाड्रन लीडर आहुजा की याद में बठिंडा एयर बेस पर हुए श्रद्धांजलि कार्यक्रम के दौरान एयर माशर्ल रघुनाथ नांबियार ने कहा कि घने बादलों के कारण राडार विमान को पूरी तरह से डिटेक्ट नहीं कर पाते। नांबियार के कुछ पहले एक कार्यक्रम में पत्रकारों के सवाल के जवाब में थल सेनाध्यक्ष जनरल विपिन रावत ने भी कहा था कि राडार अलग-अलग तकनीक पर काम करते हैं। कई प्रकार होते हैं। कुछ बादलों में विमानों को नहीं पकड़ पाते जबकि कुछ बादलों के रहते भी पकड़ लेते हैं। यह प्रकरण बताता है कि हमें ऐसे मामलों में जिम्मेवार समुदाय का परिचय देना चाहिए। प्रधानमंत्री कुछ कह रहे हैं तो उसमें वजन होगा। उनका अपनी जानकारी के आधार पर सैन्य अधिकारियों को दिया गया सुझाव था जिसे उनने स्वीकार किया तो उसमें दम रहा होगा। हमारा मानना है कि मजाक उड़ाने वाले इस प्रकरण को सबक के रूप में लें और आगे से त्वरित मजाक उड़ाना अभियान चलाने के पूर्व थोड़ी सत्यता की जांच कर लें।
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