गुमराह करते बयान
पाकिस्तान सरकार के प्रचार माध्यम, सेना, खुफिया एजेंसी आईएसआई और मीडिया सुनियोजित तरीके से भारत के आम चुनाव को प्रभावित करने की कोशिश कर रहे हैं।
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पिछले महीने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने कहा था कि भारत में आम चुनाव होने तक नई दिल्ली और इस्लामाबाद के बीच संबंध तनावपूर्ण बने रहेंगे। उन्होंने यह आशंका भी प्रकट की थी कि मोदी सरकार आम चुनावों से पहले एक और दुस्साहस कर सकती है।
उनका यह बयान पुलवामा हमले के बाद भारतीय वायु सेना द्वारा बालाकोट में जैश-ए-मोहम्मद के ठिकानों पर किए गए हमले के बाद आया था। अब इसी साजिश की कड़ी में पाक के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने कहा है कि भारत पाकिस्तान पर एक और हमले की तैयारी कर रहा है।
यह हमला 16 से 20 अप्रैल के बीच हो सकता है। इन दोनों नेताओं के बयान से यह स्पष्ट हो गया है कि वे भारत में सत्ता परिवर्तन के इच्छुक हैं। दरअसल, पाकिस्तान के राजनीतिक समीक्षक और भारत विरोधी तत्व भारत में आम चुनाव की घोषणा के साथ ही यह दुष्प्रचार कर रहे हैं कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पाकिस्तान के सहारे चुनाव जीतना चाहते हैं।
देश में भी बहुत से लोग ऐसे हैं, जो इससे मिलती-जुलती राय रखते हैं। पाकिस्तानी समीक्षकों और मीडिया का अनुमान है कि 11 अप्रैल को होने वाले प्रथम चरण के मतदान में यदि भाजपा पिछड़ती है, तो भारत हमला कर सकता है। हालांकि भारत के विदेश मंत्रालय ने कुरैशी के इस बयान को गैर-जिम्मेदाराना और निर्थक बताते हुए खारिज कर दिया है, जो भारतीय उपमहाद्वीप में युद्ध को बढ़ावा देने वाला है। लेकिन इस बयान को गंभीरता से लेने की जरूरत है।
भारतीय विदेश मंत्रालय ने इस आशंका से इनकार नहीं किया है कि पाकिस्तान भारत में कोई बड़ा आतंकी हमला करवा सकता है ताकि मोदी की साख को धक्का पहुंचे। अगर ऐसा होता है तो आम चुनाव के दौरान यह एक बड़ा राजनीतिक मुद्दा बन सकता है। विपक्ष इसे प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ बड़े हथियार के तौर पर इस्तेमाल कर सकता है कि उनके हाथों में देश असुरक्षित है। दरअसल, पाक भारत में किसी एक दल के बहुमत वाली सरकार के बजाय कमजोर सरकार चाहता है, जो अहम निर्णय लेने में अक्षम हो और भारत का आर्थिक विकास थम जाए। लेकिन उसका यह मंसूबा पूरा नहीं होगा।
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