संकल्प पत्र

Last Updated 09 Apr 2019 06:41:00 AM IST

सकल्प पत्र के नाम से जारी भाजपा के घोषणापत्र को उसकी विचारधारा एवं भारत के बारे में कल्पना का व्यावहारिक दस्तावेज कह सकते हैं।


संकल्प पत्र

किसान सम्मान योजना का सभी किसानों के लिए विस्तार को छोड़कर अन्य कोई वायदा नहीं है, जिसे आप लोक-लुभावन कह सकें। सत्ता में काम करने के कारण आए अनुभवों के कारण उसने घोषणाओं में काफी सतर्कता बरती है। विचारधारा के अनुरूप राष्ट्रवाद, राष्ट्रीय सुरक्षा, आतंकवाद के प्रति शून्य सहिष्णुता, संस्कृति का संरक्षण और अंत्योदय को दर्शन तथा सुशासन को मंत्र बताना भाजपा को जानने-समझने वालों के लिए बिल्कुल अपेक्षित था। हां, 2014 की तुलना में इस बार विचारधारा कहीं ज्यादा प्रखर हुआ है।

मसलन, जम्मू-कश्मीर से संबंधित संविधान की धारा 35 ए को खत्म करने की स्पष्ट घोषणा है। इसकी तीखी प्रतिक्रिया कश्मीर के नेताओं में देखने को मिल रही है। हालांकि धारा 370 पर अपने विचार पर केवल कायम रहने की बात कही गई है। इसका कारण इसे हटाने संबंधी संवैधानिक एवं राजनैतिक जटिलताएं ही हैं। किंतु जम्मू-कश्मीर के संबंध में किसी तरह की भावुकता भरा वायदा इसमें नहीं है। इसका अर्थ हुआ कि यदि भाजपा सत्ता में लौटती है तो अलगाववादियों एवं मजहबी कट्टरपंथियों के प्रति कठोरता तथा सुरक्षा बलों की कार्रवाई इसी स्थिति में जारी रहेगी।

राममंदिर का रास्ता प्रशस्त करने की बात भी 2014 की तुलना में थोड़ा ज्यादा स्पष्ट है। निश्चय ही भाजपा के परंपरागत समर्थक एव संघ परिवार के घटक इस संकल्प पत्र से संतुष्ट होंगे। आखिर पूर्वोत्तर में विरोध के बावजूद नागरिकता कानून बनाने की स्पष्ट घोषणा है तो तीन तलाक के विरु द्ध हर हाल में कानून बनाने का संकल्प। हालांकि इसके कारण आर्थिक-सामाजिक विकास तथा लोकतांत्रिक मूल्यों को कायम रखने संबंधी वायदे में कमी नहीं है। किंतु अलग-अलग घोषणाओं की जगह इसमें भारत के दीर्घकालीन पुनर्निर्माण का विजन है।

स्वतंत्रता के 75 वें वर्ष यानी 2022 तक की समय सीमा में जिन 75 लक्ष्यों को पूरा करने का वायदा है, वह विकास और आम आदमी तक उसका लाभ पहुंचाने की दृष्टि से काफी महत्त्वपूर्ण है। अगर सरकार में आने के साथ जैसा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि हम एक मिशन और दिशा में काम करेंगे, करने की ईमानदार कोशिश हुई तो भारत विकास के मामले में आज से काफी आगे निकल चुका होगा तथा आवास एवं बिजली-पानी से वंचित परिवारों की संख्या न के बराबर होगी।



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