भारत की रणनीति सही
पाकिस्तान द्वारा भारत से पश्चिम की तरफ जाने वाली उड़ानों के लिए अपने वायुमार्ग को खोलने की घोषणा पर किसी तरह की त्वरित प्रतिक्रिया देने से बचने की आवश्यकता है।
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वस्तुत: भारत की खामोशी सही रणनीति है। इसमें ऐसा कुछ है भी नहीं, जिससे भारत धन्यवाद ज्ञापित करे। वैसे भी पाक ने अपने 11 मार्गों में से केवल एक को खोला है। एअर इंडिया एवं तुर्की एअरलाइन्स जैसी कंपनियों ने इस मार्ग का प्रयोग करना शुरू कर दिया है।
इसके पहले हालांकि पाकिस्तान ने 27 मार्च को बैंकॉक, नई दिल्ली और कुआलालंपुर की सभी उड़ानों के लिए भी अपना हवाई क्षेत्र खोल दिया था। यह साफ दिख रहा है कि ऐसा करने के पीछे भारत से ज्यादा दूसरे कुछ देशों की चिंता प्रमुख थी। इनमें तुर्की, मलयेशिया, संयुक्त अरब अमीरात, सऊदी अरब आदि के साथ अमेरिका एवं कुछ यूरोपीय देश शामिल हैं। ये देश इस मामले में पाकिस्तान के संपर्क में रहे हैं।
हालांकि पाकिस्तान की घोषणा के बावजूद अमेरिकी विमानन कंपनी यूनाइटेड एअरलाइन्स ने नेवार्क हवाईअड्डे और दिल्ली हवाईअड्डे तक जाने वाली उड़ानों को दो हफ्ते के लिए निलंबित करने का निर्णय किया है। दरअसल, पाकिस्तान जब तक सभी मार्गों को पूर्णरूपेण नहीं खोलता स्थिति सामान्य नहीं हो सकती।
एक मार्ग या केवल तीन स्थानों के विमानों के गुजरने की अनुमति का अर्थ शेष के लिए बाधाएं कायम रहना है। वैसे भारत ने कभी युद्ध का न ऐलान किया, न उसे धमकी दी। इसमें नागरिक विमानों के रास्ते बंद करने का कारण केवल उसका भय था। पाकिस्तान ने दुनिया को यह समझाने की कोशिश की कि भारत युद्ध की स्थिति पैदा कर रहा है, इसलिए उसने मार्गों को बंद किया है।
हालांकि किसी देश ने उसकी शिकायत का सार्वजनिक रूप से संज्ञान नहीं लिया। पाकिस्तान को शायद उम्मीद थी कि कुछ देश भारत के खिलाफ हो सकते हैं। ऐसा हुआ नहीं और भारत ने मार्ग खोलने की मांग भी नहीं की। भारत की नीति प्रतीक्षा करने और देखने की है और यही उचित भी है। हमारा रु ख साफ है-सीमा पार से प्रायोजित आतंकवादी हमला हुआ तो हम आगे भी कार्रवाई कर सकते हैं। देश की सुरक्षा के लिए हमारे वायुयानों को भले दूसरे लंबे रास्ते से जाना पड़े, लेकिन हम कार्रवाई न करने का वचन नहीं दे सकते।
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