राफेल और राष्ट्रीय सुरक्षा

Last Updated 15 Mar 2019 06:39:24 AM IST

सर्वोच्च न्यायालय ने तय किया है कि राफेल सौदे के विरुद्ध दायर पुनर्विचार याचिका पर अंतिम फैसला देने के पहले वह केंद्र सरकार की आपत्तियों और उनकी वैधताओं पर विचार करेगा।




राफेल और राष्ट्रीय सुरक्षा

फिर वह याचिकाकर्ताओं की तरफ से पेश किये गए तथ्यों पर गौर करेगा। रक्षा मंत्रालय ने पुनर्विचार याचिका को इस आधार पर खारिज करने आग्रह किया है कि उसमें रखे गए तथ्य चोरी से जुटाये गए हैं, जो सरकारी गोपनीयता कानून, राष्ट्रीय सुरक्षा और सम्प्रभुता तक से खिलवाड़ है। यह भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 123 और 124 के तहत विशेषाधिकार के उल्लंघन का एक दंडनीय मसला है। यह भी कि सौदे के ब्योरे के खुलासे से भारत के फ्रांस से संबंधों पर खराब असर पड़ेगा, जिसके साथ राफेल के लिए करार हुआ है। हालांकि पुनर्विचार याचिका एक अंग्रेजी अखबार में प्रकाशित सौदे के विवरणों के आधार पर दायर की गई है। फिर खुलासे गोपनीय कहां रहे! तो क्या सरकार का इरादा उस अखबार के विरुद्ध कार्रवाई करने का है? सरकार के तर्क से तो ऐसा ही लगता है। इसी क्रम में सर्वोच्च न्यायालय को इस पर भी व्यवस्था देनी होगी कि राष्ट्रीय सुरक्षा ज्यादा विचारणीय है कि जनहित? सरकार ने जैसा तर्क दिया और आम जनता भी जैसा विश्वास करती है कि राष्ट्रीय सुरक्षा के समक्ष जनहित का मुद्दा गौण है।

स्वयं संविधान ही राष्ट्रीय सुरक्षा के पक्ष में कतिपय नागरिक अधिकारों के निलम्बन को उचित ठहराता है। इसलिए सूचना-अधिकार कानून के प्रावधान को, जिसमें जनहित सवरेपरि है, सर्वोच्च अदालत राफेल मामले में विचारणीय शायद न माने। हालांकि इसको लांघने से पहले उसे कई अन्य पक्षों के अलावा प्रतिपक्ष के इस तर्क पर विचार करना होगा राफेल सौदा सरकार और सरकार के बीच का करार नहीं है। इस पूरे प्रकरण में मुद्दा इतना ही है कि याचिकाकर्ता, जिनमें दो भाजपा के वरिष्ठ नेता रहे हैं एवं विपक्ष खरीदे जाने वाले राफेल की तादाद और दाम में बड़ा अंतर पाते हैं। वे इस सौदे को एक नये और अनुपयुक्त खिलाड़ी के जरिये कराने के पीछे भी भारी भ्रष्टाचार पाते हैं। लिहाजा, उनकी कोशिश सरकार को बाध्य कर सौदे के ब्योरे का खुलासा कराना है। संसद से यह न होने पर वह सर्वोच्च अदालत में आए हैं। हालांकि इसके पहले इसी अदालत ने राष्ट्रीय सुरक्षा के पहलुओं का संदर्भ देते हुए सौदे की प्रक्रिया पर अपना संतोष जाहिर किया था। अब अदालत के अंतिम फैसले का इंतजार है।



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