ऐतिहासिक फैसला

Last Updated 22 Nov 2018 05:53:06 AM IST

उन्नीस सौ चौरासी में दिल्ली में हुए सिख विरोधी दंगों से संबंधित एक मामले में अदालत ने किसी दोषी को पहली बार फांसी की सजा सुनाई है।


ऐतिहासिक फैसला

चौंतीस सालों से दोषियों को सजा दिलाने के लिए संघर्ष कर रहे दंगा पीड़ित परिवार को देर से ही सही, न्याय मिला। लेकिन अभी ऐसे अनेक पीड़ित परिवार हैं, जो अदालत से न्याय पाने का इंतजार कर रहे हैं। दक्षिण-पश्चिम दिल्ली के महिपालपुर हत्याकांड में दोषी पाए गए एक को फांसी और दूसरे को उम्रकैद की सजा के बाद सिख विरोधी दंगों के दूसरे मामलों के पीड़ितों को इस फैसले से हिम्मत मिली है। इस ऐतिहासिक फैसले से अन्य मामलों का रास्ता खुल सकेगा। महिपालपुर सिख विरोधी हत्याकांड का मामला इस कहावत को चरितार्थ करती है कि न्याय के मंदिर में देर है, अंधेर नहीं। दरअसल, इस दंगे में मारे गए अवतार सिंह और हरदेव सिंह के भाई संतोख सिंह ने सिख विरोधी दंगों की जांच के लिए गठित जस्टिस रंगनाथ मिश्रा आयोग के समक्ष सितम्बर उन्नीस सौ पिचासी में हलफनामा दाखिल किया था। इस हलफनामे पर जस्टिस जेडी जैन और जस्टिस डीके अग्रवाल की समिति की सिफारिश पर वसंत कुंज पुलिस थाने में मामला दर्ज किया गया। दिल्ली पुलिस इस मामले में करीब आठ साल तक जांच करती रही, लेकिन किसी भी आरोपी के खिलाफ पुख्ता सबूत जुटाने में विफल रही। पुलिस ने जांच के बाद क्लोजर रिपोर्ट दाखिल की, जिसे अदालत ने स्वीकार कर लिया।

इस मामले में नया मोड़ तब आया जब दो हजार चौदह में केंद्र में भाजपा की सरकार बनी। फरवरी दो हजार पंद्रह में गृह मंत्रालय ने उन्नीस सौ चौरासी के दंगों की जांच के लिए स्पेशल इंवेस्टिगेशन टीम (एसआईटी) का गठन किया, जिसने मामले को दोबारा खोला। एसआईटी ने दंगाइयों का नेतृत्व करने वाले नरेश सहरावत और यशपाल के खिलाफ पुख्ता सबूत जुटाए। सच तो यह है कि केंद्र सरकार के इस मामले को दोबारा खोलने के कारण ही दोषियों को न्याय के कठघरे में लाया जा सका। श्रीमति इंदिरा गांधी की हत्या के बाद दिल्ली में भड़के सिख विरोधी दंगों में कांग्रेस के नेताओं की भूमिका पर भी सवाल उठे थे। इंदिरा गांधी की हत्या के बाद तीन दिनों तक पूरी दिल्ली में जंगलराज कायम था। सड़कों और गलियों में पुलिस की जगह दंगाइयों का राज था। उम्मीद की जानी चाहिए कि धर्म और समुदाय के नाम पर बेकसूर सिखों को जान से मारकर राजनैतिक रोटियां सेंकने वालों को भी न्याय के कठघरे में लाया जाएगा।



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