महंगाई में उछाल
खुदरा महंगाई दर में पूरे 1.22 प्रतिशत की वृद्धि निश्चय ही सरकार की चिंता बढ़ाने वाली है. हमारी आपकी तो परेशानियां बढ़ेंगी हीं.
महंगाई में उछाल |
उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित खुदरा महंगाई दर (सीपीआई) नवम्बर में 4.8 प्रतिशत रही है जो पिछले 15 महीनों का उच्चतम स्तर है. अक्टूबर महीने में यह 3.58 प्रतिशत रही थी.
हालांकि इसमें आश्चर्य की कोई बात इसलिए नहीं है, क्योंकि कई एजेंसियों ने नवम्बर के दौरान खुदरा महंगाई दर में वृद्धि के अनुमान पहले ही लगा दिए थे. साफ है कि मुख्यत: ईधन, सब्जियों, अंडों और खाद्य सामग्रियों के दाम बढ़ने से नवम्बर महीने में खुदरा महंगाई दर बढ़ी है. खुदरा खाद्य महंगाई की दर भले कुल महंगाई दर से कम यानी 4.42 प्रतिशत पर है पर यह भी चिंताजनक है.
ध्यान रखिए, अक्टूबर महीने में यह केवल 1.90 प्रतिशत थी. नवम्बर में सब्जियों की महंगाई दर भी 6.89 प्रतिशत रही है जो औसत महंगाई दर से ज्यादा है. वैसे महीने दर महीने आधार पर नवम्बर में कपड़ों और जूतों की महंगाई दर 4.76 प्रतिशत से घटकर 0.64 प्रतिशत रही है.
ऐसे कुछ और भी क्षेत्र हैं, जिनमें महंगाई दर गिरी है, किंतु हम जानते हैं कि बहुत ज्यादा राहत नहीं मिलने वाली. शहरी और ग्रामीण इलाकों की महंगाई दरों को देखें तो इसमें भी आपको अलग-अलग वृद्धि दिखाई देती है. मसलन, शहरी इलाकों में महंगाई दर नवम्बर में 4.9 प्रतिशत है जबकि अक्टूबर में यह 3.81 प्रतिशत थी. पूरे एक प्रतिशत से ज्यादा की वृद्धि.
इसी तरह ग्रामीण इलाकों की महंगाई दर 4.79 प्रतिशत है जो अक्टूबर में 3.36 प्रतिशत थी. यह 1.4 प्रतिशत से ज्यादा वृद्धि है. यानी गांवों में महंगाई ज्यादा बढ़ी है. सरकार की पूरी कोशिश है कि महंगाई दर को 4 प्रतिशत के नीचे रखा जाए. रिजर्व बैंक ने मौद्रिक नीति में इसीलिए ब्याज दर में बदलाव नहीं किया था. उसे अनुमान था कि महंगाई बढ़ने वाली है और यदि ब्याज दर घटा दिया गया तो यह और ज्यादा बढ़ जाएगा.
रिजर्व बैंक का लक्ष्य भी महंगाई दर को 4 प्रतिशत के आसपास सीमित रखना है. यदि महंगाई दर में गिरावट नहीं आई तो अगली मौद्रिक समीक्षा में भी रिजर्व बैंक ब्याज दर में कमी न करने की नीति जारी रखेगा. केवल रिजर्व बैंक के ब्याज दर न घटाने से महंगाई वृद्धि की दिशा बदलना संभव नहीं होगा. ईधन की दरें अपने हाथों में नहीं हैं, लेकिन अंडे के दाम क्यों बढ़े इसका पता तो सरकार लगा ही सकती है.
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