सकारात्मक कदम
केंद्र सरकार ने दागी नेताओं पर लंबित फौजदारी मुकदमों का त्वरित गति से निपटारा करने के लिए बारह विशेष अदालतों के गठन को मंजूरी देकर सकारात्मक कदम उठाया है.
सकारात्मक कदम |
देश भर में करीब पंद्रह सौ इक्यासी दागी सांसद और विधायक हैं, जिनके खिलाफ अदालतों में गंभीर आपराधिक मामले लंबित हैं.
सरकार के इस फैसले से उन राजनीतिक नेताओं को धक्का लग सकता है, जिनके खिलाफ अदालतों में सुनवाई चल रही है, और दोषी सिद्ध नहीं होने की वजह से वे सांसद और विधायक बने हुए हैं. अगर वास्तव में उन्होंने कोई गुनाह किया है, तो यह साबित भी होना चाहिए और अगर वो बेगुनाह हैं, तो उन्हें दोषमुक्त भी किया जाना चाहिए.
न्याय का सिद्धांत है कि जब तक न्यायालय में किसी का आरोप सिद्ध नहीं हो जाता तब तक उसे अपराधी नहीं माना जाता. इसलिए उम्मीद की जानी चाहिए कि विशेष अदालतों का गठन होने के बाद दागी नेताओं के मामलों को त्वरित गति से निपटाया जाएगा. ऐसा देखा गया है कि बहुत से नेता, जिनके खिलाफ आपराधिक मुकदमे चल रहे होते हैं, न्यायालय से बरी हो जाते हैं.
लेकिन जब तक वो दोषमुक्त नहीं होते हैं, तब तक जनता उन्हें अपराधी ही समझती है. यह किसी भी राजनीतिक व्यवस्था के लिए बेहतर स्थिति नहीं हो सकती क्योंकि जब कानून बनाने वाला ही अपराधी होगा तो उससे न्याय की उम्मीद कैसे की जा सकती है. वर्तमान लोक सभा में 184 सांसद दागी हैं. इसी तरह राज्य सभा के 44 सांसदों के खिलाफ फौजदारी मुकदमे दर्ज हैं.
केंद्र सरकार द्वारा जिन बारह विशेष न्यायालयों का गठन किया जा रहा है, उनमें से दो विशेष न्यायालय इन 228 सांसदों के खिलाफ चल रहे मुकदमों की सुनवाई करेंगे. शेष दस न्यायालयों का गठन आंध्र प्रदेश, बिहार, कर्नाटक, केरल, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, तेलंगाना, उत्तर प्रदेश और बंगाल में किया जाएगा जहां विधायकों के खिलाफ लंबित आपराधिक मामलों की सुनवाई की जाएगी. सच कहा जाए तो आज कोई भी ऐसा राष्ट्रीय और क्षेत्रीय दल नहीं है, जिसके नेताओं के खिलाफ आपराधिक मुकदमे दर्ज नहीं हैं.
उनमें बहुत से ऐसे भी हैं, जिनके खिलाफ आंदोलनों के दौरान मुकदमे दर्ज किए जाते हैं, और सही मायने में उन्हें आपराधिक तो नहीं ही कहा जा सकता. हालांकि इन्हें भी दागी कहा जाता है. विशेष अदालतें दागी नेताओं के मामलों की सुनवाई करेंगी. उम्मीद है कि उनके भाग्य का फैसला जल्द हो सकेगा.
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