तीन तलाक की दलीलें

Last Updated 01 May 2017 06:18:25 AM IST

आखिर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने तीन तलाक का मुद्दा मुस्लिम समाज के विवेक पर छोड़ना बेहतर समझा. उन्होंने यह अपेक्षा जरूर की है कि मुसलमान समाज में इसके खिलाफ एक भावना जगे और सुधार के कदम उठें.


तीन तलाक की दलीलें

हालांकि, उनकी पार्टी और संघ परिवार के लोग मुसलमान औरतों के खिलाफ इस अन्यायपूर्ण रिवाज को मुद्दा बनाने से न पहले हिचके हैं, न अब हिचकेंगे. जाहिर है, यह मसला उनके खास मकसदों में फिट बैठता है. इससे कट्टर बहुसंख्यकों की भावनाएं भी तुष्ट होती हैं और लगे हाथ मुस्लिम औरतों और उसके उदार वर्ग की सहानुभूति भी मिल जाती है.

 कुछ विश्लेषकों का यह भी अनुमान है कि खासकर हाल में संपन्न उत्तर प्रदेश के चुनाव में भाजपा को मुस्लिम औरतों के वोट हासिल हुए हैं. शायद इसी वजह से उत्तर प्रदेश चुनाव से पहले भाजपा के मंचों और नेताओं की ओर से लगातार यह मुद्दा कई तरीकों से उठाया जाता रहा है. कुछ बेहद भद्दे दलीलें भी दी जाती रही हैं. जैसा कि तीन तलाक पर राजनीति न करने की प्रधानमंत्री की सलाह के दिन ही उत्तर प्रदेश की योगी सरकार के मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य ने बेहद अपमानजनक दलीलें पेश की हैं.



दलील जितनी तीखी हो और तथ्यों पर आधारित हो, उतना ही मुद्दों के अर्थ खुलते हैं और जागरूकता बढ़ती है लेकिन दलील गाली-गलौज की भाषा में दी जाए तो उसका मकसद संबंधित समाज या व्यक्ति का मान-मर्दन ही होता है. इसलिए कोशिश यह होनी चाहिए कि अन्याय के मुद्दे पर ऐसी राजनीति न हो, जो एक खास तरह से समाज में वैमनष्य पैदा करे. तीन तलाक और गुजारा-भत्ता न मिलने के मसले बेहद अनुचित और अन्यायपूर्ण हैं. लेकिन उसके लिए समाज में नई चेतना पैदा करनी चाहिए.

प्रधानमंत्री ने भी भुवनेश्वर में हाल में हुई भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी बैठक में भी कहा था कि तीन तलाक के मुद्दे पर मुस्लिम समाज की सहमति से ही कुछ किया जाना चाहिए. भुवनेश्वर में पहली बार प्रधानमंत्री ने पिछड़ा वर्ग आरक्षण का लाभ पिछड़े मुसलमानों को भी देने की बात की थी. यानी मोदी की रणनीति भाजपा को वह व्यापक जनाधार दिलाने की है, जिसके बल पर कांग्रेस लंबे समय से शासन करती आई है. इसी रणनीति का नतीजा है कि मोदी पिछले कुछ समय से गरीबों के कल्याण पर फोकस दे रहे हैं. मगर इसके लिए जरूरी है कि हर मसले पर व्यापक सहमति बनाने की कोशिश की जाए और यह दिखाया जाए कि नीयत साफ है.

 

संपादकीय


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