‘वैम्पायर’ तारे की प्रक्रिया कैमरे में कैद

Last Updated 30 Jan 2017 01:56:14 PM IST

भारत की पहली अंतरिक्ष वेधशाला ‘एस्ट्रोसैट’ ने छह अरब साल पुराने छोटे ‘वैम्पायर’ तारे द्वारा एक बड़े तारे का शिकार करने की प्रक्रिया को कैमरे में कैद किया.


‘वैम्पायर’ तारे की प्रक्रिया कैमरे में कैद

वैज्ञानिकों का कहना है कि छोटा तारा जिसे ‘ब्लू स्ट्रैगलर’ भी कहा जाता है, वह अपने साथी तारे के द्रव्यमान और उसकी ऊर्जा को सोख लेता है. 

भारतीय खगोल भौतिकी संस्थान में प्रोफेसर अन्नपूर्णी सुब्रमण्यम ने कहा, ‘सबसे लोकप्रिय व्याख्या यह है कि ये बाइनरी प्रणालियां हैं जिनमें एक छोटा तारा बड़े साथी तारे के द्रव्यमान को सोखकर बड़ा ब्लू स्ट्रैगलर बन जाता है और इसलिए इसे वैम्पायर तारा भी कहते हैं, छोटा तारा पहले से अधिक बड़ा, गर्म और नीला बन जाता है जिससे वह कम आयु का प्रतीत होता है.’ 
 
हालांकि ऐसा नहीं है कि ऐसी घटना के बारे में पहली बार सुना गया हो, लेकिन टेलीस्कोप के जरिए पूरी प्रक्रिया ऐसी जानकारी मुहैया कराएगी जो ‘ब्लू स्टैगलर’ तारों के बनने के अध्ययन में वैज्ञानिकों की मदद करेगी, यह एस्ट्रोसैट पर टेलीस्कोप की क्षमताओं को रेखांकित करता है. 
 
समर्पित अंतरिक्ष वेधशाला उपग्रह एस्ट्रोसैट का प्रक्षेपण सितम्बर 2015 में किया गया था, इस अध्ययन को एएआई, आईयूसीएए, टीआईएफआर, इसरो और कनाडियन स्पेस एजेंसी (सीएसए) के वैज्ञानिकों के दल ने एस्ट्रोफिजिकल जर्नल लेटर्स में हाल में प्रकाशित किया है. 
 
वैज्ञानिक अब उच्च रेजोल्यूशन वाली स्पैक्ट्रोस्कोपी के जरिए ‘ब्लू स्टैगलर’ की रासायनिक संरचना को समझ रहे हैं जिससे इन विशेष आकाशीय पिंडों के विकास के बारे में और जानकारी मिल पाएगी.
 



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