सरकार ने 2029 तक 3 लाख करोड़ रुपये के रक्षा उत्पादन का लक्ष्य रखा: राजनाथ

Last Updated 11 Jun 2025 01:31:27 PM IST

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा है कि सरकार ने 2029 तक तीन लाख करोड़ रुपये के रक्षा उत्पादन का लक्ष्य रखा है जबकि उसे उम्मीद है कि उस समय तक इस क्षेत्र में देश का निर्यात 50,000 करोड़ रुपये तक पहुंच जाएगा।


रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह (फाइल फोटो)

सिंह ने मंगलवार को यहां एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए 21वीं सदी में सूचना युद्ध के बढ़ते उपयोग पर भी प्रकाश डाला और लोगों से झूठ की पहचान करने, अफवाहों को रोकने और समाज में जागरूकता फैलाने के लिए "सामाजिक सैनिक" बनने का आग्रह किया।

रक्षा मंत्री ने कहा, “डेटा और सूचना सबसे बड़ी शक्ति है, लेकिन यह सबसे बड़ी चुनौती भी है। ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान पाकिस्तान ने फर्जी वीडियो, छेड़छाड़ की गई खबरों और पोस्ट के जरिए हमारे सैनिकों और नागरिकों का मनोबल तोड़ने की साजिश रची।”

उन्होंने कहा, “भले ही सैन्य कार्रवाइयां रोक दी गई हों, लेकिन सूचना युद्ध अब भी जारी है। अगर लोग बिना सोचे-समझे झूठी खबरें साझा करते हैं, तो वे अनजाने में दुश्मन का हथियार बन जाते हैं।"

रक्षा मंत्री ने कहा कि सरकार अपने स्तर पर साइबर सुरक्षा पर काम कर रही है, लेकिन प्रत्येक नागरिक को "प्रथम प्रतिक्रियादाता" बनने की जरूरत है।

उन्होंने यह भी कहा कि भारत आज न सिर्फ अपनी सीमाओं की रक्षा कर रहा है, बल्कि एक ऐसी प्रणाली भी बना रहा है जो "हमें रणनीतिक, आर्थिक और तकनीकी रूप से मजबूत बना रही है।"

सिंह ने कहा, ‘‘पहले हम पूरी तरह से विदेशी रक्षा उपकरणों पर निर्भर थे, लेकिन आज भारत रक्षा क्षेत्र में तेजी से ‘आत्मनिर्भर’ बन रहा है।’’

आतंकवाद से निपटने और राष्ट्रीय सुरक्षा को मजबूत करने के लिए सरकार द्वारा अपनाई गई रणनीति पर प्रकाश डालते हुए सिंह ने कहा कि रक्षा क्षेत्र 'आत्मनिर्भर भारत' के सबसे मजबूत स्तंभों में से एक के रूप में उभरा है और " ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान इस्तेमाल किए गए हथियार और सैन्य प्रणालियां भारत में बने थे।"

रक्षा मंत्री ने रेखांकित किया कि सरकार के लगातार प्रयास फलदायी हो रहे हैं क्योंकि 2014 में वार्षिक रक्षा उत्पादन लगभग 40,000 करोड़ रुपये था, जो आज 1.30 लाख करोड़ रुपये के रिकॉर्ड आंकड़े को पार कर गया है और वित्त वर्ष 2024-25 में रक्षा निर्यात 23,622 करोड़ रुपये तक बढ़ गया है।

उन्होंने कहा कि भारत में निर्मित रक्षा उत्पाद लगभग 100 देशों को निर्यात किए जा रहे हैं।

सिंह ने कहा, "हमने इस वर्ष 1.75 लाख करोड़ रुपये और 2029 तक तीन लाख करोड़ रुपये के रक्षा उत्पादन का लक्ष्य रखा है। हमारा रक्षा निर्यात इस वर्ष 30,000 करोड़ रुपये और 2029 तक 50,000 करोड़ रुपये तक पहुंच जाना चाहिए।"

अपने संबोधन में उन्होंने रक्षा क्षेत्र को मजबूत करने के लिए सरकार द्वारा उठाए गए कदमों का भी जिक्र किया, जिसमें रक्षा बजट को बढ़ाकर वित्त वर्ष 2024-25 में 6.22 लाख करोड़ रुपये करना (जो वित्त वर्ष 2013-14 में 2.53 लाख करोड़ रुपये था), घरेलू कंपनियों से पूंजीगत खरीद के लिए बजट का 75 प्रतिशत आरक्षित करना और 5,500 से अधिक वस्तुओं को शामिल करते हुए कुल 10 सकारात्मक स्वदेशीकरण सूचियां जारी करना शामिल है।

सिंह ने कहा, "आज भारतीय सशस्त्र बल देश में निर्मित अत्याधुनिक हथियारों, मिसाइलों, टैंकों और अन्य प्रणालियों का उपयोग करते हैं। अग्नि, पृथ्वी और ब्रह्मोस जैसी हमारी स्वदेशी मिसाइलें दुश्मन को मुंहतोड़ जवाब देने के लिए तैयार हैं। हमारे पास आईएनएस विक्रांत जैसे विमानवाहक पोत बनाने की ताकत भी है।"

रक्षा मंत्री ने मीडिया से भी कहा कि आज के समय में "सबसे सही होना" को "आगे रहने" से ज़्यादा प्राथमिकता दी जानी चाहिए। उन्होंने आगाह करते हुए कहा, "'सत्यापित' होने के बजाय 'वायरल' होना पत्रकारिता का मानक बन गया है। इससे बचने की ज़रूरत है।"

सिंह ने मीडिया को ऐसे समय में सजग प्रहरी बताया, जब राष्ट्रीय सुरक्षा का मुद्दा सिर्फ सीमाओं से जुड़ा नहीं है, बल्कि अब साइबर और सामाजिक क्षेत्रों में भी चुनौती बन गया है।

उन्होंने कहा, "पत्रकारिता सिर्फ पेशा नहीं, बल्कि राष्ट्रीय कर्तव्य है। यह हमें देश की सुरक्षा के प्रति सजग और सतर्क रखते हुए सूचना प्रदान करती है। स्वतंत्र और स्वस्थ पत्रकारिता एक स्थिर शक्ति है, जो समाज को सजग बनाती है, उसे एकजुट करती है और चेतना का प्रसार करती है।"

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी सहित अन्य व्यक्ति भी इस कार्यक्रम में शामिल हुए।
 

भाषा
देहरादून


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