बदरीनाथ-केदारनाथ नयी मंदिर समिति गठन पर हाईकोर्ट की रोक

Last Updated 07 Apr 2017 10:27:14 PM IST

उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने बदरीनाथ-केदारनाथ नयी मंदिर समिति के गठन पर फिलहाल रोक लगा दी है.


उत्तराखंड उच्च न्यायालय (फाइल फोटो)

सरकार नये आदेश तक नयी समिति का गठन नहीं कर सकती है. इससे देश के प्रसिद्ध बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति को भंग करने के बहुचर्चित मामले में त्रिवेन्द्र रावत सरकार को फिलहाल झटका लगा है.

न्यायमूर्ति सुधांशु धुलिया की एकल पीठ में इस मामले की आज सुनवाई हुई. पीठ ने सुनवाई के बाद नई समिति के गठन पर 11 अप्रैल तक के लिए रोक लगा दी.

प्रदेश में नवगठित भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार ने अभी कुछ दिन पहले बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति को भंग कर दिया था. तब यह मामला राजनीतिक रूप से काफी गरमाया था. भंग समिति के सदस्य दिनकर बाबुलकर एवं दिवाकर चमोली ने उच्च न्यायालय में याचिका दायर करके सरकार के आदेश को चुनौती दी थी.



याचिका में कहा गया है कि वर्तमान सरकार ने एक अप्रैल को बिना किसी वजह के बदरीनाथ एवं केदारनाथ मन्दिर समिति को भंग कर दिया.

याचिककर्ता का कहना है कि मंदिर समिति के सदस्यों का तीन वर्ष का कार्यकाल होता है. समिति अपना कार्यकाल पूरा भी नहीं कर पायी है और सरकार ने उसे समय से पहले ही भंग कर दिया. यही नहीं सरकार ने दोनों मंदिरों को प्रशासक के हवाले कर दिया है. प्रशासक के रूप में भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) अधिकारी शैलेश बगौली को नियुक्त किया गया है.

 

 

वार्ता


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