उत्तर प्रदेश में ये हो सकते हैं 5 चुनावी मुद्दे
चुनाव आयोग द्वारा पांच राज्यों में चुनावों की घोषणा के साथ अब इस बात पर भी दिमाग पच्ची होने लगी है कि आखिर विधानसभा के ये चुनाव किन मुद्दों पर लड़े जाएंगे.
उत्तर प्रदेश में ये हो सकते हैं 5 चुनावी मुद्दे |
हालात जो नजर आ रहे हैं उनमें हर राज्य में कुछ मुद्दे अलग होंगे लेकिन लगता है कि नोटबंदी व कानून व्यवस्था हर राज्य के चुनावों को प्रभावित करेगी.
कानून व्यवस्था
► नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के डाटा के मुताबिक, उत्तर प्रदेश में बीते 6 साल में क्राइम बढ़ा है.
► पिछले 4 साल में उत्तर प्रदेश में क्राइम की 93 लाख से घटनाएं हुई हैं. इनमें से 71फीसद क्राइम सपा के विधायक, नेताओं या अखिलेश सरकार में अब तक बने मंत्रियों के जिलों में हुई हैं. ऐसे में यह बड़ा चुनावी मुद्दा हो सकता है.
विकास
► पॉलिटिकल पार्टयिां कास्ट फैक्टर के साथ-साथ विकास की बात करके जनता को साधने की कोशिश में हैं.
► चुनाव के ऐलान से पहले अखिलेश ने दिसम्बर में एक साथ हजारों करोड़ रु पए की कई योजनाओं की नींव रखी.
► अखिलेश मतदाताओं के बीच अपने पांच साल के काम का प्रचार करना चाहेंगे. वहीं, भाजपा मोदी के विकास एजेंडे को आगे बढ़ाने की कोशिश करेगी.
नोटबंदी
► भाजपा इसे कैश कराने की कोशिश करेगी. वह लगातार कह रही है कि मोदी के इस फैसले ने धनबल से चुनाव जीतने की सपा और बसपा की मंशा पर पानी फेर दिया है.
► हालांकि, सपा, बसपा और कांग्रेस इसे तानाशाही वाला फैसला बता रही हैं. उनका कहना है कि इससे गरीब बेहद परेशान हैं. ये सभी दल नोटबंदी को सबसे बुरा फैसला बताकर मोदी सरकार को घेरने की कोशिश करेंगे.
जाति
► 20 करोड़ से ज्यादा आबादी वाले इस राज्य में जाति फैक्टर पर पॉलिटिक्स होती रही है.
► 2011 की जनगणना के मुताबिक, राज्य में 10फीसद ब्राह्मण, 8.50फीसद ठाकुर, 20.5 फीसद दलित और 50 फीसद बैकर्वड कास्ट के लोग हैं.
► बसपा दलित वोटों के दम पर तो सपा यादव-मुस्लिम वोटों के दम पर चुनाव जीतने की कोशिश में हैं.
► अब तक कांग्रेस को मुस्लिम-ब्राह्मण, तो भाजपा को हिंदू वोटरों से उम्मीदें रही हैं.
हिंदुत्व
► केंद्र में पहले जब भाजपा की अगुआई वाली एनडीए सरकार बनी तो उसने राम मंदिर मुद्दा भुला दिया. इससे उत्तर प्रदेश का वोटर उससे दूर हो गया.
► हालांकि, 2014 के आम चुनाव में मोदी लहर काम कर गई और भाजपा ने 80 में से 71 सीटें जीत लीं.
► माना गया कि मोदी की हार्डलाइनर इमेज से फायदा हुआ. भाजपा को विधानसभा चुनाव में भी हिंदू वोटरों से उम्मीदें हैं.
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