किसे मिलेगी 'साइकिल'? सपा में चुनाव चिन्ह पर संग्राम
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव की रणभेरी बजने के बीच 'साइकिल' चुनाव चिन्ह पर सत्तारूढ़ समाजवादी पार्टी (सपा) में दंगल जारी है.
किसे मिलेगी सपा की 'साइकिल'? (फाइल फोटो) |
पार्टी में टूट के बाद दोनों गुट सपा के चुनाव चिन्ह 'साइकिल' पर दावे के लिए चुनाव आयोग जा चुके हैं. दोनों गुट ने आयोग को ज्ञापन और दस्तावेज दिए हैं.
मुलायम सिंह यादव और शिवपाल यादव दिल्ली के लिए रवाना हो गये हैं. वे चुनाव आयोग को विधायकों, विधान पार्षदों और सांसदों के हस्ताक्षर वाला हलफनामा सौंप सकते हैं.
इससे पहले चुनाव आयोग ने सपा के दोनों खेमों से जवाब मांगा है. आयोग ने दोनों खेमों द्वारा दिए गए ज्ञापन और दस्तावेजों को दोनों पार्टियों को दिया है. अब इसके जवाब में दोनों खेमे अपने पक्ष में पार्टी पदाधिकारी, सांसद और विधायकों के समर्थन से जुड़े दस्तावेज भी दे सकते हैं.
जवाब मिलने के बाद चुनाव आयोग तय करेगा कि 'साइकिल' चुनाव चिन्ह किसी को दिया जा सकता है या फिर यूपी चुनाव तक फ्रीज किया जाए.
प्रदेश विधानसभा चुनाव की घोषणा के मद्देनजर फिलहाल सर्वे में सबसे आगे चल रही सपा के लिये आपसी मतभेद दूर करना जरूरी है, क्योंकि ऐसा नहीं होने से कार्यकर्ताओं में भ्रम की स्थिति रहेगी कि कौन सा धड़ा असली समाजवादी पार्टी है.
पिछले रविवार को विवादित राष्ट्रीय अधिवेशन में मुलायम की जगह अखिलेश को अध्यक्ष बनाये जाने को लेकर सपा में दो फाड़ हो जाने के बाद आजम खां ने मंगलवार को दोनों पक्षों के बीच सुलह की नाकाम कोशिश की थी. खां ने बुधवार को दोबारा प्रयास शुरू किए और सुबह सपा मुखिया के घर पहुंचे. मुलायम और उनके भाई शिवपाल सिंह यादव से करीब पांच घंटे तक मुलाकात के बाद खां मुख्यमंत्री से भी उनके आवास पर मिले.
हालांकि, सुलह-समझौते की ये तमाम कोशिशें उस वक्त और भी अर्थहीन नजर आईं, जब अखिलेश के हिमायती रामगोपाल यादव ने किसी भी तरह के समझौते से इनकार कर दिया और कहा कि बातचीत की खबरें महज अफवाह हैं.
इस बीच, मुख्यमंत्री अखिलेश ने लखनऊ में एक कार्यक्रम में आगामी विधानसभा चुनाव की तैयारियों के बारे में पूछने पर कहा, ‘‘हम चुनाव में जा रहे हैं, कहां नट-बोल्ट इस्तेमाल करना है, हम जानते हैं, हम इसे ठीक से करेंगे.’’
पिछले रविवार को सपा के विवादित राष्ट्रीय अधिवेशन में अखिलेश को पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाये जाने के बाद पार्टी के चुनाव निशान और झण्डे पर कब्जे के लिये मुलायम और अखिलेश के खेमे चुनाव आयोग के सामने अपने-अपने दावे पेश कर चुके हैं.
ऐसे में माना जा रहा था कि विधानसभा चुनाव की किसी भी समय घोषणा होने की सम्भावना और चुनाव आयोग में सुनवाई की लम्बी प्रक्रिया से नुकसान के अंदेशे के मद्देनजर दोनों पक्ष मिल बैठकर मामला सुलझाना चाहते हैं.
मंगलवार को मुलायम के नई दिल्ली से लखनऊ आने पर अखिलेश उनसे मुलाकात करने पहुंचे थे. बाद में अखिलेश के राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी उनके चाचा शिवपाल सिंह यादव भी पहुंचे और तीनों के बीच बात हुई थी, लेकिन बात नहीं बनी.
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