उत्तर प्रदेश सरकार 2025 में कराएगी एक लाख जोड़ों का सामूहिक विवाह

Last Updated 27 Jun 2025 06:35:36 PM IST

उत्तर प्रदेश सरकार ने 2025 में एक लाख जोड़ों का सामूहिक विवाह कराने का लक्ष्य निर्धारित किया है। शुक्रवार को एक आधिकारिक बयान में यह जानकारी दी गयी।


बयान के अनुसार आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग की बेटियों को विवाह में सहयोग देने के उद्देश्य से मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना को सरकार ने और अधिक पारदर्शी, प्रभावी एवं जनहितकारी रूप दिया है।

बयान के मुताबिक सरकार ने इस योजना के अंतर्गत इस वर्ष एक लाख से अधिक जोड़ों के विवाह कराने का लक्ष्य तय किया है। इस योजना को सख्त निगरानी और तकनीकी की मदद से लाभार्थियों तक पहुंचाने की व्यापक रणनीति बनाई गई है।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने योजना में वित्तीय सहायता राशि को दोगुना किए जाने के बाद अब इस योजना की निगरानी व्यवस्था को भी और मजबूत करने के निर्देश दिए हैं। सरकार वित्त वर्ष 2025-26 से हर जोड़े पर एक लाख रुपये खर्च कर रही है।

मुख्यमंत्री ने कई बार कहा है कि यह योजना सिर्फ विवाह कार्यक्रम नहीं, बल्कि सामाजिक सम्मान, पारदर्शिता और जरूरतमंदों को सशक्त करने की दिशा में एक सार्थक कदम है।

बयान के मुताबिक समाज कल्याण राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) असीम अरुण ने कहा कि अब योजना को तकनीकी माध्यम से और अधिक सरल, सुलभ एवं पारदर्शी बनाया जा रहा है ताकि वास्तविक लाभार्थियों तक इसका फायदा पहुंच सके। 

उनका कहना था कि इसके लिए आवेदन प्रक्रिया से लेकर सामग्री आपूर्ति तक के सभी चरणों को डिजिटल निगरानी में लाया जा रहा है।

अरुण ने बताया कि उपहारों की गुणवत्ता और वितरण को लेकर भी विशेष व्यवस्था की गई है तथा अब कंपनियों का चयन जिला नहीं, बल्कि निदेशालय स्तर से किया जाएगा, जिससे किसी भी स्तर पर गड़बड़ी की संभावना को खत्म किया जा सके।

सामूहिक विवाह कार्यक्रमों में पारदर्शिता और जवाबदेही बनाये रखने के लिए सरकार ने जनपदों में पर्यवेक्षक तैनात करने का निर्णय लिया है। इसके तहत एक जिले के समाज कल्याण अधिकारी को दूसरे जिले में पर्यवेक्षक के रूप में भेजा जाएगा।

मंडलीय उपनिदेशक और जिला समाज कल्याण अधिकारी की उपस्थिति विवाह समारोहों में अनिवार्य होगी। कार्यक्रम की निगरानी के लिए पर्यवेक्षक सीधे निदेशालय या मंडलीय उपनिदेशक को रिपोर्ट करेंगे। यह प्रणाली यह सुनिश्चित करेगी कि कोई भी अनियमितता छिप न सके।

बयान के अनुसार अब ऑनलाइन आवेदन से पहले कन्या के आधार सत्यापन में लापरवाही पर अधिकारियों की जिम्मेदारी तय की जाएगी। इसके साथ ही विवाह स्थल पर वर-वधू दोनों की बायोमेट्रिक उपस्थिति अनिवार्य होगी, ताकि फर्जीवाड़ा रोका जा सके।

शासन स्तर से जनपदीय अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं कि जल्द से जल्द पात्र लाभार्थियों की सूची तैयार की जाए और इस संबंध में समर्पित अभियान चलाया जाए, जिससे हर वास्तविक पात्र को योजना का लाभ मिल सके।

भाषा
लखनऊ


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