यूपी में नई तबादला नीति को हरी झंडी, सरकारी कर्मचारियों को भी मिली सौगात

Last Updated 11 Jun 2024 07:10:50 PM IST

उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने मंगलवार को 2024-25 के लिए नई स्थानांतरण नीति को मंजूरी दे दी है।


उत्तर प्रदेश की योगी सरकार

इस नीति के तहत समूह क और ख के उन अधिकारियों का स्थानांतरण किया जा सकेगा, जिन्होंने जनपद में तीन वर्ष और मंडल में सात वर्ष पूर्ण कर लिए हैं। समूह ग और घ में सबसे पुराने अधिकारियों का स्थानांतरण किया जाएगा।

मंगलवार को सीएम योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में कुल 42 प्रस्ताव रखे गए, जिनमें 41 प्रस्तावों को मंजूरी दी गई। समूह क और ख के अधिकारियों के स्थानांतरण के लिए अधिकतम 20 प्रतिशत तो समूह ग और घ के लिए अधिकतम 10 प्रतिशत की सीमा रखी गई है। इस नीति के तहत सभी स्थानांतरण 30 जून तक किए जाने हैं।

पारित प्रस्तावों के विषय में जानकारी देते हुए वित्त एवं संसदीय कार्य मंत्री सुरेश खन्ना ने बताया कि कैबिनेट ने स्थानांतरण नीति 2024-25 को मंजूरी प्रदान कर दी है। इसमें पिछले वर्ष की नीति के प्राविधानों का अनुसरण किया गया है। इसके तहत समूह क और ख के वो अधिकारी, जिन्होंने अपने सेवाकाल में मंडल में 7 वर्ष और जनपद में 3 वर्ष पूरे कर लिए हों, वो स्थानांतरण नीति के अंतर्गत आएंगे। इसके साथ ही समूह क और ख में स्थानांतरण संवर्गवार अधिकारियों की संख्या अधिकतम 20 प्रतिशत होगी और समूह ग और घ के लिए अधिकतम सीमा 10 प्रतिशत रखी गई है।

उन्होंने बताया कि समूह ग और घ के लिए जो व्यवस्था की गई है, उसके अनुसार सबसे पुराने अधिकारियों का पहले स्थानांतरण किया जाएगा। यदि 10 प्रतिशत से ऊपर स्थानांतरण करना होगा तो इसके लिए मंत्री की अनुमति आवश्यक होगी। वहीं, यदि समूह क और ख में 20 प्रतिशत से अधिक स्थानांतरण करने की आवश्यकता होगी तो उसकी अनुमति मुख्यमंत्री से लेना आवश्यक होगा।

उन्होंने बताया कि समूह ग और घ में स्थानांतरण को पूरी तरह मानव संपदा पोर्टल के माध्यम से पूर्ण किया जाएगा। इससे अधिकारियों की सर्विस बुक और सैलरी को डिजिटाइज किया जा सकेगा। प्रदेश के 8 आकांक्षी जिलों और 34 जिलों के 100 आकांक्षी विकास खंडों के लिए पहले से जो व्यवस्था चली आ रही है, उसके अंतर्गत वहां रिक्त पदों को भरने की सर्वोच्च प्राथमिकता होगी। अभी तक जो व्यवस्था थी, उसके अनुसार, 30 जून और 31 दिसंबर को रिटायर होने वाले कर्मचारियों को एक जुलाई या एक जनवरी को प्रस्तावित वेतन वृद्धि का लाभ नहीं मिल पाता था। अब कैबिनेट ने इसकी मंजूरी दे दी है। इससे कर्मचारियों को वेतन वृद्धि का लाभ उनकी पेंशन और ग्रेचुयुटी में मिल सकेगा।

उन्होंने बताया कि सुप्रीम कोर्ट के एक निर्णय के बाद ज्यूडिशियल कर्मचारियों को पहले ही इसका लाभ दिया जा चुका है और अब सरकारी कर्मचारी भी इससे लाभान्वित हो सकेंगे। सरकार ने प्रदेश के 5 विश्वविद्यालयों के नामों में भी मामूली संशोधन किया है। स्वीकृत प्रस्ताव के अनुसार इन विश्वविद्यालयों के नाम से राज्य शब्द को हटाया गया है। महाराज सुहेलदेव राज्य विश्वविद्यालय आजमगढ़ का नाम अब महाराज सुहेलदेव विश्वविद्यालय आजमगढ़ होगा। इसी तरह मां शाकुम्भरी देवी राज्य विश्वविद्यालय सहारनपुर, मां विंध्यवासिनी राज्य विश्वविद्यालय मीरजापुर, मां पाटेश्वरी देवी राज्य विश्वविद्यालय बलरामपुर से भी राज्य शब्द को हटाने को मंजूरी दी गई है। उत्तर प्रदेश राज्य विश्वविद्यालय मुरादाबाद का नाम गुरु जंबेश्वर विश्वविद्यालय मुरादाबाद करने का निर्णय लिया गया है।

उच्च शिक्षा मंत्री योगेंद्र उपाध्याय ने बताया कि सरकार उच्च शिक्षा का विकास करने के लिए प्रतिबद्ध है। इसके लिए सरकारी विश्वविद्यालयों के साथ प्राइवेट विश्वविद्यालय को भी प्रमोट किया जा रहा है। इसी क्रम में दो नए निजी विश्वविद्यालयों को लेटर ऑफ इंटेंट देने का प्रस्ताव पारित हुआ है। इसमें एचआरआईटी गाजियाबाद और फ्यूचर विश्वविद्यालय बरेली है। दोनों ने अपने सभी मानक पूरे कर लिए हैं।

बताया गया कि प्रयागराज में होने वाले महाकुंभ में तैयारियों के मद्देनजर इसे 2025 में 4,000 हेक्टेयर क्षेत्र में विस्तारित किया गया है। अनुमान है कि मौनी अमावस्या पर करीब 6 करोड़ लोग आएंगे। कुंभ के लिए 2,500 करोड़ रुपए का आवंटन किया गया है। नोएडा को 500 बेड के नए अस्पताल को मंजूरी दी गई है। इसका निर्माण 15 एकड़ भूमि पर किया जाएगा। आईआईटी कानपुर में मेडिकल रिसर्च के लिए स्कूल आफ मेडिकल रिसर्च एंड टेक्नालॉजी बनाया जाएगा।

आईएएनएस
लखनऊ


Post You May Like..!!

Latest News

Entertainment