Krishna Janmabhoomi Case: हाईकोर्ट सुनाएगा सोमवार को फैसला

Last Updated 19 Apr 2023 08:01:01 AM IST

श्रीकृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह विवाद मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने शाही मस्जिद ईदगाह ट्रस्ट (Shahi Masjid Idgah Trust) की प्रबंध समिति व UP सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड मथुरा (UP Sunni Central Waqf Board Mathura) तथा भगवान श्रीकृष्ण विराजमान (Bhagwan Srikrishna Virajman) की तरफ से बहस पूरी होने के बाद फैसला सुरक्षित कर लिया।


रीकृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह विवाद

दोनों तरफ की दलीलें सुनने के बाद इलाहाबाद हाईकोर्ट फैसला 24 अप्रैल (सोमवार) को सुनाया जाएगा। मथुरा अदालत में चल रहे मुकदमे की सुनवाई पर पहले ही रोक लगी है।

यह आदेश न्यायमूर्ति प्रकाश पाडिया ने शाही मस्जिद ईदगाह ट्रस्ट व अन्य की याचिका की सुनवाई करते हुए दिया है।

बता दें कि भगवान श्रीकृष्ण विराजमान की तरफ से सिविल जज की अदालत में सिविल वाद दायर कर 20 जुलाई 1973 के फैसले को रद्द करने तथा 13.37 एकड कटरा केशव देव की जमीन को श्रीकृष्ण विराजमान के नाम घोषित किए जाने की मांग की।

मालूम हो कि श्रीकृष्ण जन्मस्थान के पास 10.9 एकड़ जमीन का मालिकाना हक है और 2.5 एकड़ जमीन का मालिकाना हक शाही ईदगाह मस्जिद के पास है। हिंदू पक्ष का कहना है कि शाही ईदगाह मस्जिद को अवैध तरीके से कब्जा करके बनाया गया है। इस जमीन पर उनका दावा है। हिंदू पक्ष की ओर से ही शाही ईदगाह मस्जिद को हटाने और इस जमीन को भी श्रीकृष्ण जन्मस्थान को देने की मांग की गई है।

बता दें कि याचिकाकर्ता वकील महेंद्र प्रताप सिंह ने अपनी अपील में श्रीकृष्ण जन्मस्थान परिसर से शाही मस्जिद ईदगाह हटाने की मांग की है। इस मामले में पहले सुनवाई योग्य बिंदुओं पर सिविल जज सीनियर डिविजन द्वारा सुनवाई की जा चुकी है। इस मामले में  8 दिसंबर को हिंदू सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष विष्णु गुप्ता व दिल्ली निवासी उपाध्यक्ष सुरजीत सिंह यादव ने कोर्ट में दावा किया था कि ईदगाह का निर्माण मुग़ल बादशाह औरंगजेब ने भगवान कृष्ण की 13.37 एकड़ जमीन पर बने मंदिर को तोड़कर करवाया था। याचिका में श्री कृष्ण जन्मस्थान सेवा संघ बनाम शाही मस्जिद ईदगाह के बीच वर्ष 1968 में हुए समझौते को भी चुनौती दी गई है। सिविल जज सीनियर डिवीजन तृतीय सोनिका वर्मा की अदालत ने सभी प्रतिवादियों को नोटिस दिया।

ज्ञात हो कि मथुरा में शाही ईदगाह मस्जिद 1991 के पूजा स्थल अधिनियम के दायरे में आती है। कानून के अनुसार, "किसी भी पूजा स्थल के रूपांतरण पर रोक लगाने और किसी भी पूजा स्थल के धार्मिक चरित्र को बनाए रखने के लिए प्रदान करने के लिए एक अधिनियम, जैसा कि अगस्त 1947 के 15 वें दिन मौजूद था, और उससे जुड़े या प्रासंगिक मामलों के लिए। "इस मामले में अब तक 13 मुकदमे विभिन्न अदालतों में दाखिल हुए थे, जिनमें दो मुकदमे खारिज भी हो चुके हैं।

सुरेन्द्र देशवाल
प्रयागराज


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