शाही ईदगाह के सर्वे के आदेश पर भड़के ओवैसी, कहा- मेरी राय में कोर्ट गलत

Last Updated 26 Dec 2022 07:58:31 PM IST

एआईएमआईएम के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने सोमवार को शाही ईदगाह मस्जिद परिसर के सर्वेक्षण के लिए मथुरा अदालत के आदेश की आलोचना करते हुए कहा कि दीवानी मामले में सर्वेक्षण का आदेश देना आखिरी विकल्प होना चाहिए।


एआईएमआईएम के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी

हैदराबाद के सांसद ओवैसी ने कहा, मेरी राय में कोर्ट गलत है। मैं इस आदेश से असहमत हूं। कानूनी विशेषज्ञ अच्छी तरह से जानते हैं और उन्होंने मुझे यह भी बताया है कि एक सर्वेक्षण का आदेश अदालत द्वारा केवल अंतिम विकल्प के रूप में दिया जाता है, वो भी तब, जब शीर्षक या कुछ भी साबित करने के लिए कोई कागजात नहीं होते हैं।

ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के नेता ने कहा कि अदालत ने सर्वेक्षण को पहले विकल्प के रूप में इस्तेमाल किया, जबकि कानूनी विशेषज्ञों का मानना है कि यह अंतिम विकल्प होना चाहिए।

ओवैसी ने कहा कि दीवानी अदालत ने पूजा स्थल अधिनियम, 1991 का उल्लंघन किया, जो स्पष्ट है कि बाबरी मस्जिद को छोड़कर, 15 अगस्त, 1947 को बने धार्मिक स्थलों की प्रकृति में बदलाव नहीं किया जा सकता है।

उन्होंने कहा कि अदालत ने इस बात की पूरी तरह अवहेलना की, कि 12 अक्टूबर 1968 को शाही ईदगाह ट्रस्ट ने श्रीकृष्ण जन्मस्थान के साथ समझौता किया था। उन्होंने कहा, ट्रस्ट ने यह समझौता उत्तर प्रदेश सुन्नी वक्फ बोर्ड की स्पष्ट स्वीकृति के साथ किया था। इस पर दोनों पक्षों ने हस्ताक्षर किए थे।

उन्होंने बताया कि समझौते के तहत ईदगाह और मंदिर की जमीन स्पष्ट रूप से तय थी।

मथुरा की एक जिला अदालत ने 24 दिसंबर को राजस्व विभाग द्वारा 13.77 एकड़ भूमि के स्वामित्व को चुनौती देने वाली एक नई याचिका में शाही ईदगाह मस्जिद परिसर के आधिकारिक निरीक्षण की अनुमति दी, जिस पर ईदगाह बनी है।

अदालत ने राजस्व विभाग के एक अधिकारी को परिसर का निरीक्षण करने और सुनवाई की अगली तारीख 20 जनवरी तक नक्शे के साथ रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया।

ईदगाह का प्रबंधन करने वाली इंतेजामिया समिति के खिलाफ बाल कृष्ण के नाम पर हिंदू सेना द्वारा दायर याचिका में यह निर्देश आया है।

सांसद ने एक सवाल के जवाब में आरोप लगाया कि विहिप, आरएसएस और भाजपा एक बार फिर देश में नफरत का माहौल बनाना चाहते हैं जो 1980 और 1990 के दशक में कायम था।

उन्होंने कहा, भाजपा देश में शासन कर रही है, लेकिन प्रधानमंत्री वीएचपी को नियंत्रित नहीं कर रहे हैं, या तो वह उनकी बात नहीं मान रहे है या फिर प्रधानमंत्री चुप बैठे हैं।

आईएएनएस
हैदराबाद


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