यूपी : हत्या के मामले में उम्रकैद की सजा काट रहे पूर्व बसपा विधायक की संपत्ति कुर्क

Last Updated 31 Aug 2022 11:32:10 AM IST

उत्तर प्रदेश के औरैया जिले में पुलिस ने पूर्व बसपा विधायक शेखर तिवारी की संपत्ति कुर्क की है, जो 2008 में पीडब्ल्यूडी इंजीनियर मनोज कुमार गुप्ता की हत्या के मामले में उम्रकैद की सजा काट रहे हैं।


पूर्व बसपा विधायक शेखर तिवारी की संपत्ति कुर्क

दिसंबर 2008 में तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती के जन्मदिन समारोह के लिए चंदा देने से इनकार करने के बाद तिवारी ने अपने सहयोगियों के साथ 25 दिसंबर, 2008 को औरैया में गुप्ता की कथित तौर पर हत्या कर दी थी।

इसके बाद, तिवारी ने 2009 में आत्मसमर्पण कर दिया और बाद में उन्हें जेल भेज दिया गया। उन पर गैंगस्टर एक्ट के तहत भी मामला दर्ज किया गया था।

मई 2011 में, तिवारी को गुप्ता के अपहरण और हत्या के आरोप में 9 अन्य लोगों के साथ आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी।

तिवारी की पत्नी विभा को भी सबूत नष्ट करने के आरोप में 30 महीने की जेल की सजा सुनाई गई थी।

गैंगस्टर के दर्ज मामले को लेकर चल रही सुनवाई के बीच जिला जज के कोर्ट के आदेश के बाद संपत्ति कुर्क करने की कवायद शुरू हो गयी।



इसके बाद, पुलिस और प्रशासन की ओर से औरैया के उमरसाना मौजे गांव में तिवारी की 0.8 हेक्टेयर जमीन कुर्क करने की घोषणा की गई।

जमीन की कीमत करीब 47.49 लाख रुपये आंकी गई है।

अंचल अधिकारी सदर सुरेंद्र नाथ यादव ने बताया कि तिवारी के खिलाफ गैंगस्टर एक्ट मामले में कोर्ट ने जमीन कुर्क करने का आदेश दिया है। उन्होंने कहा, "भूमि अगले आदेश तक सदर तहसील के कब्जे में रहेगी।"

ज्ञात हो कि पीडब्लूडी इंजीनियर मनोज गुप्ता की हत्या दिसम्बर 2008 में उनके घर में घुस कर की गयी थी।

क्या था आखिर मामला

विधायक ने अपने गुर्गों के साथ इस हत्‍याकांड को अंजाम दिया। 24 दिसंबर 2008 को शेखर तिवारी अपने 11 साथियों के साथ इंजीनियर के घर पर पहुंचे और देखते ही उन्‍हें पीटना शुरू कर दिया। अपने पति की हत्‍या की प्रत्‍यक्षदर्शी बनीं इंजीनियर की पत्‍नी शशि गुप्‍ता के मुताबिक हत्यारों ने मनोज गुप्‍ता को पहले जमकर पीटा। फिर नंगा तार लगाकर उन्‍हें बिजली का करंट लगाया। करंट के झटकों से तड़पते हुए इंजीनियर की मौके पर ही मौत हो गई।

पुलिस मुकदमा दर्ज को नहीं थी तैयार

इस कांड के बाद उत्‍तर प्रदेश पुलिस भी मुकदमा दर्ज करने को तैयार नहीं थी। मीडिया द्वारा दबाव बनाये जाने पर पुलिस ने मुकदमा दर्ज किया। यह मुकदमा इंजीनियर की पत्‍नी ने दर्ज कराया। मामला कोर्ट में गया और काफी जद्दोजहद के बाद दर्ज हुए मुकदमें में पुलिस ने ढिलाई बरती और कार्रवाई करने से बचती रही। इंजीनियर की पत्नी के आरोप व न्यायालय में लगायी गयी गुहार के बाद प्रशासन सख्त हुआ जब जाकर पुलिस ने विधायक शेखर तिवारी व उनकी पत्नी व जिला पंचायत अध्यक्ष विभा तिवारी, विनय तिवारी, रामबाबू, योगेन्द्र दोहरे, मनोज अवस्थी, देवेन्द्र राजपूत, संतोष तिवारी, गजराज सिंह, पाल सिंह व डिबियापुर थाने के इंसपेक्टर को आरोपी बनाया गया।

मामला शांत करने की पूरी कोशिश की तिवारी ने

जांच पड़ताल व आला अधिकारियों के निर्देशों के बाद विभा तिवारी को छोड़ सभी को जेल जाना पड़ा। विधायक ने शासन प्रशासन की मद्द से कई बार प्रयास किया कि मामला शांत हो जाए लेकिन वे अपने मकसद में कामयाब नहीं हो सकें आखिरकार ढाई वर्ष के लम्बे इंतजार के बाद शुक्रवार को विशेष कोर्ट ने सभी आरोपियों को हत्या व साक्ष्यों को छिपाने का दोषी मानते हुए सजा सुना दी। सजा पाने वालों में विधायक शेखर तिवारी को आजीवन कारावास तथा उनकी पत्नी विभा तिवारी को ढाई वर्ष की कैद व 15 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनायी गयी जबकि शेष आरोपियों को उम्र कैद की सजा सुनायी गयी। न्यायालय के फैसले ने बाद पीडि़त परिवार के आंसू पोछने का कार्य किया।

आईएएनएस
औरैया


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