लोकल को बनाएं ग्लोबल : मोदी

Last Updated 15 Dec 2021 01:17:28 AM IST

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मंगलवार को अपनी काशी से लोकल को ग्लोबल बनाने का आह्वान किया।


वाराणसी : उमरहां के स्वर्वेद मंदिर के समीप आयोजित समारोह के दौरान लोगों का अभिवादन करते पीएम नरेन्द्र मोदी व यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ।

उन्होंने कहा कि स्वाधीनता संग्राम के समय स्वदेशी का मंत्र दिया गया था। अब उसी भाव से देश ने ‘आत्मनिर्भर भारत मिशन’ शुरू किया है। देश के स्थानीय व्यापार, रोजगार और उत्पादों को ताकत दी जा रही है। भारत के लोकल को ग्लोबल बनाया जा रहा है। प्रधानमंत्री अपने काशी प्रवास के दूसरे दिन मंगलवार को उमरहां स्थित स्वव्रेद महामंदिर के वाषिर्कोत्सव के उपलक्ष्य में पास में आयोजित जनसभा को संबोधित कर रहे थे।

पीएम ने कहा कि आजादी के अमृतकाल में भारत के लिए जितना महत्वपूर्ण स्वराज है, उतना ही महत्वपूर्ण सुराज भी है। इन दोनों का रास्ता भारतीय ज्ञान-विज्ञान, जीवनशैली और पद्धतियों से ही निकलेगा। गौमाता के साथ इस संबंध को सुदृढ़ करने के लिए, गो-धन को हमारी ग्रामीण अर्थव्यवस्था का एक स्तंभ बनाने के लिए देश में अनेक प्रयास हो रहे हैं।

हमारा गो-धन किसानों के लिए केवल दूध का ही स्त्रोत न रहे, बल्कि कोशिश है कि गो-वंश, प्रगति के अन्य आयामों में भी मदद करें। आज दुनिया स्वास्थ्य को लेकर सजग हो रही है, केमिकल्स को छोड़कर आग्रेनिक फार्मिग की तरफ विश्व लौट रहा है, हमारे यहां गोबर कभी प्राकृतिक खेती का बड़ा आधार होता था, हमारी ऊर्जा जरूरतों को भी पूरा करता था। आज देश गोबर-धन योजना के जरिए बायोफ्यूल को बढ़ावा दे रहा है।

100वें अधिवेशन के लिए संकल्प लें साधक

पीएम ने कहा कि आजादी के अमृत महोत्सव में देश अनेक संकल्पों पर काम कर रहा है। विहंगम योग संस्थान, सुरु  सदाफल देव जी के निर्देशों का पालन करते हुये लंबे समय से समाज कल्याण के कितने ही अभियान चला रहा है। आज से दो साल बाद आप सभी साधक यहां 100वें अधिवेशन के लिए एकत्रित होंगे। दो साल का यह उत्तम समय है। इसे ध्यान में रखकर उन्होंने कुछ संकल्प लेने का आग्रह किया।  

इतिहास में सही दर्ज नहीं हुई आध्यात्मिक धारा

प्रधानमंत्री ने कहा कि सैकड़ों साल के इतिहास में स्वाधीनता संग्राम के कितने ही ऐसे पहलू रहे हैं जिन्होंने देश को एकता के सूत्र में बांधे रखा। ऐसे कितने ही संत थे जो आध्यात्मिक तप छोड़कर आजादी के लिए जुटे।

स्वाधीनता संग्राम की यह आध्यात्मिक धारा इतिहास में वैसे दर्ज नहीं की गई जैसे की जानी चाहिए थी। आज जब हम आजादी का अमृत महोत्सव मना रहे हैं तो इस धारा को सामने लाना हमारा दायित्व है।देश आजादी की लड़ाई में अपने गुरु ओं, संतों और तपस्वियों के योगदान को स्मरण कर रहा है, नई पीढ़ी को उनके योगदान से परिचित करा रहा है।

पीएम के पांच संकल्प

-    बेटी को पढ़ाने के साथ सामर्थ्यवान लें हुनरमंद बनाने की जिम्मेदारी
-    जल बचाएं व जल स्त्रोतों को रखें साफ
-    प्राकृतिक खेती के लिए किसानों को करें प्रेरित
-    स्वच्छता व आसपास सफाई
-    समाज को लाभ देने वाले सेवा कार्य

सौरभ अग्रवाल/सहारा न्यूज ब्यूरो
वाराणसी


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