उत्तर प्रदेश की सत्ता के चाणक्य माने जाते थे अमर सिंह

Last Updated 02 Aug 2020 12:55:58 AM IST

समाजवादी पार्टी से अपनी राजनीति शुरू करने वाले अमर सिंह को हमेशा ही मुलायम का करीबी माना जाता था। अंतिम समय में हालांकि दोनों के बीच दूरियां काफी बढ़ गई थीं।


अमर सिंह (file photo)

देश के नामी उद्योगपतियों में गिने जाते थे अमर सिंह। उन्होंने सपा से अलग होकर बनाया था राष्ट्रीय लोकमंच। आजम खान और अमर सिंह के बीच हमेशा ही रहे तल्ख रिश्ते।

एक जमाने में यूपी की सत्ता के चाणक्य कहे जाने वाले अमर सिंह का शनिवार को सिंगापुर में निधन हो गया। भले ही वह अब इस दुनिया में नहीं हैं लेकिन एक जमाने में यूपी की राजनीति के नीति निर्धारण में उनका जबरदस्त दखल आज भी लोगों के बीच जाना जाता है। समाजवादी पार्टी के समर्थन से राज्यसभा जाने वाले अमर सिंह एक जमाने में सिर्फ  सपा ही नहीं, बल्कि पूरे उत्तर प्रदेश की सत्ता के सबसे बड़े प्रबंधक कहे जाते थे। सिंगापुर के अस्पताल में इलाज कराते समय अमर सिंह ने हाल ही में अपने एक ट्वीट किया था कि वह जिंदगी मौत से जूझ रहे हैं।

फिलहाल देश के नामी उद्योगपतियों में गिने जाने वाले अमर सिंह 90 के दशक में मुलायम सिंह के संपर्क में आए। उनकी गणना देश के नामचीन उद्योगपतियों में थी, लेकिन उनकी असल पहचान राजनीति के किंग मेकर के रूप में होती थी। सपा की सरकार में उद्योगपतियों के समूह का जब गठन हुआ तो उसका नाम ‘यूपी समाजवादी विकास परिषद’ रखा गया और अमर सिंह को उसका अध्यक्ष बनाया गया।

सपा के संरक्षक और पूर्व सीएम मुलायम सिंह यादव को सीएम की कुर्सी तक पहुंचाने में सहयोग करने वाले अमर सिंह 90 के दशक से ही यूपी के पावरफुल राजनीतिक चेहरों के रूप में जाने जाते थे। मुलायम सिंह यादव के सबसे करीबी रहे अमर सिंह एक समय सपा की नम्बर दो पोजिशन के नेता बन गए थे।

दो दशक तक पूर्वाचल की सियासत में बड़ी भूमिका निभाने वाले अमर को जब साल 2010 में समाजवादी पार्टी से निष्कासित किया गया तो उन्होंने पूर्वाचल को अलग राज्य घोषित करने की मांग के साथ अपनी पार्टी राष्ट्रीय लोकमंच का गठन किया। लोकमंच ने आजमगढ़ समेत पूर्वाचल के कई जिलों में बड़ी सभाएं भी कीं, लेकिन कोई खास असर नहीं दिखा सकी।

सपा के वरिष्ठ नेता आजम खान और अमर सिंह के बीच शुरू से ही तल्ख रिश्ते थे। यही नहीं, समाजवादी पार्टी के कद्दावर नेता और मुलायम सिंह के चचेरे भाई प्रो. राम गोपाल यादव से भी उनकी तल्खी बनी रही। अमर सिंह के समाजवादी पार्टी से दूर होने की वजह एसपी के बड़े नेता आजम खान बने। आजम खान के बढ़ते रसूख ने अमर सिंह को समाजवादी राजनीति के हाशिये पर खड़ा किया।

2010 में आजम खान के बढ़ते प्रभाव के बीच ही मुलायम सिंह ने अमर सिंह को सपा से बाहर कर दिया। इसके बाद कुछ वक्त अमर राजनीति से दूर रहे। हालांकि, साल 2016 में जब अमर सिंह को फिर राज्यसभा का सांसद बनाने का मौका आया तो उनके निर्दलीय प्रत्याशी होने के बावजूद एसपी ने उनका समर्थन कर उन्हें राज्यसभा भेजा। इसके बावजूद कई मौकों पर एसपी नेता आजम खान और राज्यसभा सांसद अमर सिंह एक-दूसरे के खिलाफ तमाम तल्ख बयान देते रहे।

यही नहीं, मुलायम सिंह से अमर सिंह की इस करीबी के बावजूद एक वक्त वह भी आया, जब अमर सिंह पर मुलायम परिवार को तोड़ने का आरोप भी लगा। मुलायम सिंह यादव के बेटे और यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने ही अमर सिंह पर आरोप लगाया कि वह उनके परिवार को तोड़ने की कोशिश कर रहे हैं। अखिलेश ने अमर सिंह को बाहरी व्यक्ति बताकर उनकी तमाम बार आलोचनाएं भी कीं। वहीं अमर सिंह भी कई मौकों पर अखिलेश यादव पर उनका अपमान करने का आरोप लगाते रहे हैं।

सहारा न्यूज ब्यूरो
लखनऊ


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